________________
नपुंसकलिंग
कल्ल (कल्य) गतदिन, पिछला दिन, | रक्खण (रक्षण) = रक्षण
आगामी दिन
जीविअ (जीवित) = जीवन
दव्व (द्रव्य) = धन, द्रव्य, संपत्ति परमपय (परमपद) = उत्तम स्थान, मोक्ष सरूव (स्वरूप) = स्वरूप
पुंलिंग + नपुंसकलिंग
चक्खु (चक्षुष)
दिवस ) (दिवस ) = दिन, दिवस
}
दिवह
पभाय
पहाय
: आँख, नेत्र
=
अन्नहि
अन्नह
अन्नत्थ
एक्कसि
एक्कसि
एक्कइआ
एगया
उत्तिम }
किवण (कृपण) = कंजूस, लोभी गुणी (गुणिन् ) = गुणवान
विन्नाण (विज्ञान) = सद्बोध, कला,
ज्ञान
वैरग्ग (वैराग्य) = वैराग्य, विराग
(प्रभात) = प्रातःकाल, सुबह जहर
विशेषण
अच्चंत (अत्यंत) = ज्यादा, अधिक | दिग्ध असार (असार) = साररहित, असार दीह आसन्न (आसन्न) = समीप, नजदीक दीहर (उत्तम) = श्रेष्ठ, सुन्दर
(अन्यत्र ) दूसरी जगह
वज्ज
(एकदा) एक दिन,
किसी समय
}
वइर
| विसयविस (विषयविष ) = विषयरूपी
अव्यय
(वज्र ) वज्र, हीरा, इन्द्र का
शस्त्र
|नायव्व (ज्ञातव्य) = जानने योग्य पुव्व (पूर्व) = पहला, आगे का, पूर्व, पुरिम अगला, प्राचीन
रहस्स (रहस्य) = गुप्त, गुह्य, एकान्त वर (वर) = श्रेष्ठ, उत्तम
नउणाइ
नउणा
७२
(दीर्घ) = दीर्घ, लम्बा
एहि ताहे इदाणिं (णि)
दाणि दाणिं दाण
सम्मं (सम्यग) अच्छी तरह
नउण
(इदानीम् ) अभी
( न पुनः ) फिर से नहिं