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________________ उप्पल (उत्पल) कमल. फल (फल) फल. कम्म (कर्मन्) काम, कर्म, ज्ञानावरणीय मूल (मूल) मूलकारण, आदिकारण, आदि कर्म. मूल. कव्व (काव्य) काव्य. वयण (वचन) वचन. चरण (चरण) चारित्र. सुत्त (सूत्र) सूत्र. चरित्त (चरित्र) चरित्र, वृत्तान्त. |सम्मत्त (सम्यक्त्व) सम्यग्दर्शन, दंसण (दर्शन) चक्षु , देखना , सत्यतत्त्व पर श्रद्धा रखना. सम्यग्दर्शन, मत, धर्मशास्त्र.. सोक्ख (सौख्य) सुख. दइव (दैव) दैव, भाग्य, अदृष्ट. | हिअअ । (हृदय) हृदय, मन. दुद्ध (दुग्ध) दूध. हिअ । धन्न (धान्य) अनाज. हरण (सम) हरण करना, ले जाना. विशेषण अणाबाह (अनाबाध) पीड़ारहित. | | पयासग (प्रकाशक) प्रकाश करनेवाला, गुरुअ ) (गुरुक) बड़ा, ज्यादा, प्रकाशक. गरुअ) भारी. महुर (मधुर) मधुर, सुन्दर. दीण (दीन) गरीब. मूढ (मूढ) मोहित, मूर्ख, अज्ञानी. नग्ग (नग्न) वस्ररहित. वराय (वराक) गरीब, दीन. निच्चल (निश्चल) स्थिर, अचल, दृढ़. विविह (विविध) बहुविध, अनेक प्रकार का, निट्टर (निष्ठुर) घातकी, निर्दय. अलग-अलग जाति का पक्क (पक्व) पका हुआ. विरुद्ध (विरुद्ध) विपरीत, प्रतिकूल. सुत्त (सुप्त) सोया हुआ. 8. अव्यय में आ का अ विकल्प से होता है । (१/६७) उदा. अहव-अहवा (अथवा) व-वा (वा) जह-जहा (यथा) हहा (हा) __ तह-तहा (तथा) 9. नमो अव्यय के योग में छठी विभक्ति रखी जाती है । उदा. नमो जिणाणं (नमो जिनेभ्यः) अव्यय अईव (अतीव) बहुत, ज्यादा, अतिशय जह । (यथा) जिस तरह, जैसे. उ (उ) विस्मय, निन्दा, तिरस्कार. जहा) कासइ (कस्यचित्) किसी का. . ४
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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