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________________ पच्चोणी (दे.) सम्मुख, सामने पर्षदा परिसा (परिषद्) सभा, अब्भत्थणा (अभ्यर्थना) प्रार्थना, अर्ज बाला (बाला) कुमारी, छोटी लड़की, बालिका महिला (महिला) स्त्री, नारी करना वाया (वाच) वाणी, वचन अरइ (अरति) अप्रीति, सुख का अभाव वाणी (वाणी) वाणी, वचन, वुट्ठि (वृष्टि) वृष्टि, वर्षा विशेषण अनंत (अनन्त) अनन्त, अपरिमित | करनेवाला अमयभूअ (अमृतभूत) अमृत के समान, अमृतरूप बना हुआ आउल (आकुल) व्याकुल, व्याप्त, दुःखित आगय (आगत) आया हुआ आयत्त (आयत्त) आधीन, स्वाधीन उचिअ (उचित) योग्य, लायक गंभीर (गम्भीर) गम्भीर, गहरा रिट्ठ ( गरिष्ट) सबसे बड़ा, बड़ा दुक्कर (दुष्कर) मुश्किल, कष्टसाध्य देसय (देशक) उपदेशक, दिखानेवाले नव (नव) नया पढम (प्रथम) पहला, आद्य भयारि (ब्रह्मचारिन्) ब्रह्मचर्य का पालन वाग्देवता बलिट्ठो (बलिष्ट) सबसे बलवान भावि (भाविन) भावी, भविष्य में होनेवाला मत्त (मत्त ) उन्मत्त, मदसहित ललिय (ललित) सुन्दर, मनोहर लुद्ध (लुब्ध) लोलुप, आसक्त विरल (विरल) अल्प, दुर्लभ, थोड़ा विहुर (विधुर) दुःखी, व्याकुल, विह्वल विहूण (विहीन) वर्जित, रहित विहीण समावडिअ (समापतित) सामने आकर गिरा हुआ, सामने आया हुआ सामन्न (सामान्य) साधारण, सामान्य अव्यय अह (अथ) अनंतर, मंगल, प्रश्न, खलु (खलु) निश्चय, अवधारण अर्थ में अधिकार, आरम्भ, समुच्चय, अथवा उट्ठाय संबं भूत कृ. (उत्थाय ) उठकर धातु अब्मुद्धर (अभ्युद् + धर) उद्धार करना | उवे (उप + इ) पास में जाना अवे (अप + इ) दूर होना, चले जाना चक्कम्म् (भ्रम्) भ्रमण करना, घूमना २०३
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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