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________________ गण (गण) समुदाय रवि (रवि) सूर्य गय (गज) हाथी ववसाय (व्यवसाय) व्यापार, कार्य, उद्यम चक्कवाय (चक्रवाक) चक्रवाक, पक्षी विशेष विवेअ) (विवेक) विवेक, सत्यासत्य का चलण (चरण) पद, पाद विवेग निर्णय जोग (योग) व्यापार, योग संगम (सङ्गम) मिलना, प्राप्ति तिअस, (त्रिदश) देव सयण (स्वजन) स्वजन, कुटुम्बी तिलअ । (तिलक) तिलक संसार (संसार) संसार, चार गतिरूप तिलग सावय (श्वापद) शिकारी पशु, हिंसक दाणव (दानव) असुर, दैत्य जानवर निवास (निवास) स्थान, वास सिणेह (स्नेह) स्नेह, प्रेम पडिवक्ख (प्रतिपक्ष) शत्र सोम (सोम) चन्द्र बंधव (बांधव) बन्धु, मित्र नपुंसकलिंग अंजण (अञ्जन) अंजन, काजल, नियाण (निदान) निदान, कारण, हेतु आँख में अंजन करना, सुरमा डालना नेउर (नपुर) पैर का आभूषण विशेष, अगार (अगार) घर निउर नेपुर, घुघरु असण (अशन) भोजन, खाना नउर इस्सरिअ । (ऐश्वर्य) ऐश्वर्य, वैभव, |पंजर (पअर) पिंजरा ईसरिअ । प्रभुता बल (बल) शक्ति, सामर्थ्य करण (करण) करना, इन्द्रिय | सत्त (सत्त्व) बल, पराक्रम तवोवण (तपोवन) आश्रम पुंलिंग + नपुंसकलिंग कलत्त (कलत्र) पत्नी |रूव (रूप) देहकान्ति, सौन्दर्य , आकृति कुल (कुल) वंश | वय (व्रत) व्रत, नियम स्त्रीलिंग अग्गला (अर्गला) बन्धन, बेड़ी कुगइ (कुगति) खराब गति अडवि (अटवी) जंगल, वन, अरण्य निव्वुइ (निर्वृति) मोक्ष, चित्त की अडवी |स्वस्थता, शांति - २०२
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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