SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (नपुंसकलिंग) आसण (आसन) = आसन, बैठने योग्य | दव । (द्रव्य) = द्रव्य, धन, संपत्ति चीज -दविअ गाण (गान) = गाना, गीत भय (भय) = भय, भीति, चच्चर (चत्वर) = चौटा, बाजार वाणिज्ज (वाणिज्य) = व्यापार तिहुअण । (त्रिभुवन) = तीन लोक समोसरण (समवसरण) = समवसरण तिहुवण । समवसरण सरोअ (सरोज) = कमल __ (पुंलिंग + नपुंसकलिंग) आगमत्थ (आगमार्थ) = सूत्रार्थ, आगम | सर (सरस्) = सरोवर का अर्थ सिद्धालय (सिद्धालय) = सिद्धों का मंदिर, सिद्धालय (स्त्रीलिंग) अच्चणा (अर्चना) = पूजा दिक्खा (दीक्षा) = दीक्षा , प्रव्रज्या, अच्चा (अर्चा) = पूजा, सत्कार संन्यास अवण्णा (अवज्ञा) = अपमान, देसविरइ (देशविरति) = देश से पाँचों अवगणना, तिरस्कार नियमों का पालन, अल्पांशे पापोंका कन्ना (कन्या) = कन्या त्याग खंति (क्षान्ति) = क्रोध का अभाव, | घेणु (धेनु) = गाय शान्ति, क्षमा नई (नदी) = नदी, सरिता खमा (क्षमा) =क्रोध का अभाव, शान्ति, नावा (नौ) = नौका, वाहन माफी निंदा (निन्दा) = निन्दा गरिहा (गर्हा) = पाप की निन्दापया (प्रजा) = प्रजा, संतति चमेडा-ला । (चपेटा) = थप्पड़, तमाचा पाढसाला (पाठशाला) = पाठशाला चवेडा-ला) पीइ (प्रीति) = प्रेम चिंता (चिन्ता) = चिन्ता, विचार पुण्णिमा, (पूर्णिमा) = पूनम, पूर्णिमा जीवदया (जीवदया) = जीवों की दया बोहि (बोधि) = शुद्ध धर्म की प्राप्ति जीवहिंसा (जीवहिंसा) = जीव का वध, भत्ति (भक्ति) = भक्ति, सेवा, जीव का नाश करना मइ (मति) = बुद्धि १०८.
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy