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विशेषण अपुन । (अपूर्व) = अद्वितीय, नया | परलोयहिअ (परलोकहित) = परलोक अउवा
|में हित करनेवाला . खल (खल) = दुर्जन, अधम पुरुष पिय (प्रिय) = प्रिय, प्यारा गविअ (गर्वित) = अभिमानी |विहवि (विमविन) = समृद्धिवाला जइण (जैन) = जिनसंबंधी, जैन, हिय (हित) = हितकर जिनेश्वर का भक्त
अव्यय चिरं (चिरम्) = दीर्घकाल पर्यन्त , लम्बे | माइं। (मा) = निषेध अर्थ में, नकार समय तक
मा । नाम (नाम) = वाक्यालंकार, पादपूर्ति, मुहा (मुधा) = व्यर्थ, निकम्मा, संभावना अर्थ में, आमंत्रण अर्थ में सिक्खिउं (हेत्वर्थ कृदन्त) (शिक्षितुम्) = नवरि)
पढ़ने हेतु नवर = (केवल) केवल, मात्र नवरं )
धातु. अरिह (अर्ह) = लायक होना, योग्य | कर्म का क्षय करना, नाश करना होना, पूजा करना
| पवट्ट । (प्र + वृत् = वत्) = प्रवृत्ति करना, उज्जम् (उद् + यम्) = उद्यम करना, पयट्ट) प्रवर्तना प्रयत्न करना
|पमज्ज् (प्र + मद) प्रमाद करना =भूलना उवज्ज (उत् +पद्य) = उत्पन्न होना भज्ज (भ्रस्ज) = भंजना, जलाना आ-दिस् (आ + दिश) = आदेश करना, मर् (मृ) = मरना कहना
| वि + रम् (वि + रम्) = रुकना, विराम निज्जर (नि +जजर) = क्षय करना, पाना
हिन्दी में अनुवाद करें1. तुम्हे एत्थ चिठेह, वीरं जिणं अम्हे अच्चेमो । 2. सच्चं बोलिज्जा । 3. धम्मं समायरे । 4. उज्जमेण विणा धणं न लहेमु ।