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अपवाद - धूर्त आदि शब्दों में र्त का ट्ट नहीं होता है - उदा. धुत्तो (धूर्तः)
कित्ती (कीर्तिः) [धूर्त आदि = धूर्त , कीर्ति, आवर्तमान, मूर्त और मुहूर्त ।]
___ शब्दार्थ (पुंलिंग) अमयरस (अमृतरस) = सुधारस, अमृत पिय (प्रिय) = पति, स्वामी का रस
|भव (भव) = संसार उज्जोग (उद्योग) = प्रयत्न, उद्यम मुसावाय ) (मृषावाद) = असत्यभाषण, गव (गर्व) = मान, अभिमान मूसावाय) = झूठ बोलना घण (घन) = मेघ, बादल
मोसावाय) जलण (ज्वलन) = अग्नि
वावार (व्यापार) = व्यापार, व्यवसाय नायपुत्त । (ज्ञातपुत्र) = महावीर भगवान |विज्जाहर (विद्याधर) = विद्याधर, नायउत्त) का नाम, ज्ञातपुत्र विद्यावान निव (नृप) = राजा
विरोह (विरोध) = विरुद्धता पक्ख (पक्ष) = अर्धमास,
विहव (विभव) = समृद्धि, ऐश्वर्य पाय (पाद) = पैर, श्लोक का चौथा भाग वेसवण । (वैश्रवण) = कुबेर पायड । (प्रकट) = प्रकट, खुला वेसमण )
पयड
नपुंसकलिंग अवज्झाण (अपध्यान) = दुर्ध्यान , दुष्ट जोवण (यौवन) = तारुण्य, युवानी चिंतन
| वागरण ) (व्याकरण) व्याकरण शास्त्र, गिह (गृह) = घर
| वायरण) उपदेश, विशेषकथन, गोविसाण (गोविषाण) = गाय का सींग | वारण ) उत्तर चिंतण (चिन्तन) = सोचना | समायरण (समाचरण) = आचरण करना
(पुंलिंग + नपुंसकलिंग) गुण (गुण) = गुण
|विमाण (विमान) = विमान, विद्याधर, पय (पद) = विभक्ति अंतवाला शब्द, देव का वाहन पद, शब्दसमूह
विस (विष) = विष, जहर भप्प । (भस्मन्) = भस्म, राख सिलोगद्ध (श्लोकार्ध) = श्लोक का भस्स)
आधा भाग
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