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________________ समायरे ( समाचरेत्) तृ. पु. एकवचन तृ. पु. एकवचन तृ. पु. एकवचन चरे (चरेत्) पढे (पढेत्) सिया (स्यात्) कुज्जा (कुर्यात्) अत्थु (अस्तु) तृ. पु. एकवचन तृ. पु. एकवचन तृ. पु. एकवचन उदा. जोव्वणं ( यौवनम् ) कोसिओ (कौशिक) कोसंबी (कौशाम्बी) गारवं, गउरवं (गौरवम्) उदा. सेला (शैला) में औ का अउ 9. शब्द के अन्दर औ हो तो ओ होता है, पौर वगैरह शब्दों होता है तथा गौरव शब्द में औ का आ और अउ होता है । (१/१५९, १६२) सेन्नं (सैन्यम्) तेलुक्कं (त्रैलोक्यम्) रावणो (ऐरावणः ) = वज्जए (वर्जयेत्) | लभे (लभेत्) 10. शब्द के अन्दर ऐ का ए होता है तथा दैत्यादि शब्दों में ऐ का अइ होता है । (१/१४८, १५१) तृ. पु. एकव. तृ. पु. एकच. निवारए (निवारयेत् ) तृ. पु. एकव. उदा. पयट्टइ (प्रवर्तते) बूया (ब्रूयात्) बूहि (ब्रूहि ) संतु (सन्तु) संवट्टिअं (संवर्तितम्) पउरा (पौराः) पउरिसं (पौरुषम्) मउणं (मौनम्) ८६ (दैत्यादि दैत्य, ऐश्वर्य, कैलास, चैत्य, भैरव, वैजवन, वैदेश, वैदेह, वैदर्भ, वैश्वानर, वैशाख, वैशाल, वैश्रवण, वैशम्पायन, वैतालिक, स्वैर और चैत्य ।) दइच्चो (दैत्यः) अइसरिअं (ऐश्वर्यम्) वइएसो (वैदेश:) तृ. पु. एकव. द्वि.पु. एकव. तृ. पु. एकव. सइरं (स्वैरम्) चइत्तं (चैत्यम्) 11. शब्द के अन्दर र्ह संयुक्त व्यंजन हो तो अन्त्य ह के पूर्व इ रखा जाता है । (२/१०४) उदा. अरिहंतो (अर्हन्) गरिहा (गर्हा) 12. शब्द के अन्दर र्त्त का ट्ट होता है - (२/३०) नट्टओ (नर्त्तकः) केवट्टो (केवर्त्त:)
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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