SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय पुरुष | नेज्जहि, नेज्जाहि, नेज्जेहि, | नेज्जह, नेज्जाह, नेज्जेह, नेज्जसु, नेज्जासु, नेज्जेसु, नेज्जिज्जसु, नेज्जेज्जसु, नेज्जिज्जहि, नेज्जेज्जहि, नेज्जिज्जे, नेज्जेज्जे नेज्ज, नेज्जा, नेज्ज, नेज्जा, [ नेज्जिज्जसि, नेज्जेज्जसि, नेज्जिज्जाह, नेज्जिज्जासि, नेज्जेज्जासि, नेज्जेज्जाह, नेज्जिज्जाहि, नेज्जेज्जाहि, नेज्जाहि ] तृतीय पुरुष | नेज्जउ, नेज्जाउ, नेज्जन्तु, नेज्जान्तु, नेज्जेउ, नेज्जए, नेज्जिन्तु, नेज्जेन्तु, नेज्जे, नेज्ज, नेज्जा | नेज्ज, नेज्जा स्वरान्त धातु में ज्ज-ज्जा के पूर्व अ कार आता है तब नेएज्ज - नेएज्जा अंग के रूप प्रथम पुरुष | नेएज्जमु, नेएज्जामु, । नेएज्जमो, नेएज्जामो, नेएज्जिमु, नेएज्जेमु. नेएज्जिमो, नेएज्जेमो, नेएज्ज, नेएज्जा नेएज्ज, नेएज्जा इसी प्रकार द्वितीय और तृतीय पुरुष के रूप करें । 7. विध्यर्थ में 'ज्ज' अंगवाले धातु को सर्वपुरुष सर्ववचन में 'इ' प्रत्यय भी लगाया जाता है । उदा. सर्वपुरुष । | होज्ज + इ = होज्जइ, - होएज्ज + इ = होएज्जइ, सर्ववचन ) | होज्जा + इ = होज्जाइ, | होएज्जा + इ = होएज्जाइ, हसेज्ज + इ = हसेज्जइ, हसेज्जा + इ = हसेज्जाइ 8. संस्कृत के तैयार आज्ञार्थ और विध्यर्थ के रूपों में प्राकृत नियमानुसार परिवर्तन होकर निम्नलिखित रूपों का भी प्रयोग होता है । उदा. - ८५
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy