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________________ 2300 आओ संस्कृत सीखें हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. स राजा द्विषामस्ना राक्षसानप्रीणयत् । 2. गोप्यो यथा दधि मनन्ति तथा देवा मेरुं मन्थानं कृत्वाम्भोधिममथ्नन् । 3. यदा भगवतो जन्म भवति तदा मघवा (सौधर्माधिपतिः) सकलसुराऽसुरेन्द्रैः सह समागत्य सविनयमहट्टारकं गृहीत्वा गत्वा कनकाद्रिशृङ्गे भगवतो जन्माभिषेकं करोति । 4. जरस्यपि जना भोगतृष्णां न जहति । 5. अस्मिन्नासनि भवानास्ताम् अस्मिँश्चासनेऽहमासै । 6. अस्य यूनो मतिः शून्या लाङ्गुलमिव वक्रास्ति । 7. आद्भिस्स्नात्वा नृपतयो ब्राह्मणेभ्यो रायं रान्ति । 8. अस्य पुंसः स्कन्धौ दृढौ स्तः दोषौ प्रशस्यौ स्तः तस्मादयं पुमाननड्वानिवाभाति। 9. पुषा तमो हन्ति । पाठ 18 संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. क्या होगा ? जो होना होगा वह होगा, कोई जानता नहीं कि कल क्या होगा? 2. तू जल्दी मत कर, तेरी यह इच्छा पूर्ण होगी । 3. हे मित्र वसुदत्त ! मैं क्या उत्तर दंगा ? 4. नवीन पश्चाताप रूपी अग्नि से जलते देहवाला में एक दिन भी स्वस्थ चित्तवाला नही रहूंगा। 5. तीव्र तप करे, अरण्य में रहे, पर्वत पर रहे परंतु जब तक वह विषयों से दूर नहीं होगा, तब तक मोक्ष प्राप्त नहीं करेगा । 6. हाथी, घोड़ा और रथ से सज्ज नगर के द्वार को देखकर उसने सोचा, “अगर इसी दरवाजे से प्रवेश के लिए राह देखूगा” तो समय का उल्लंघन होगा। 7. मेरा शोक कैसे शांत होगा ? 8.. सत्य बात कह, यदि नहीं कहेगा तो तेरा मस्तक छेद दूंगा, दुष्ट को शिक्षा करने में हत्या नहीं है। 9. भविष्य में होने वाले अकाल को जानकर सभी दूसरे देश में गये, जहाँ जीवन है, वह देश है। N र
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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