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________________ आओ संस्कृत सीखें 2-279 परिशिष्ट 1 पाठ 1 संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. धर्म रक्षण का साधन (त्राणम्) है और शरण भी है । 2. यमुना गंगा में मिलती है। 3. हे राजा ! विजय पाओ । 4. हे पुत्र ! तुम क्या इच्छा करते हो ? 5. तुम अभी अकार्य से रुक जाओ। 6. हे पुत्री ! तुम मेरे पीछे चलो। 7. बालक स्तन से दूध पीता है । 8. राजा प्रजा के हित के लिए प्रवृत्ति करे । 9. हे वत्स ! रथ में बैठकर तेरी राजधानी की ओर प्रयाण कर । 10. हे माता ! यह पुरुष मुझे 'पुत्र' इस प्रकार कहकर आलिंगन करता है । 11. बड़ों के गुण अपने आप प्रगट होते हैं । 12. अरे ! यह बालक क्या मालूम वास्तव में क्रीड़ा करने के लिए सिंह के बच्चे को जबरदस्ती खींच रहा है। 13. तुम्हारा शस्त्र दुःखियों के रक्षण के लिए है, निरपराध पर प्रहार करने के लिए नहीं 14. पैसे कमाने में दुःख है और कमाये हुए पैसो का रक्षण करने में भी दुःख है। 15. अगर मैं संसार समुद्र में भटक रहा हूँ, तो मेरा पुरुषार्थ कौन सा? 16. शरऋतु के समय जैसा, यह प्रात: समय अभी प्रगट हो रहा है । 17. हे पुत्री ! जिस कारण से तू मौन है, उस कारण को तू कह । 18. हे हाथ ! मैं किसी मनोरथ की इच्छा नहीं रखता हूँ, तू फिजूल में क्यों फरक रहा है (दायाँ हाथ फरक रहा है, उसे खुद कह रहा है)। 19. हे हृदय! तू अभिलाषा वाला बन जा, अभी संदेह का निर्णय हुआ हैं जिसको तुं अग्नि मान रहा हैं, वह तो स्पर्श करने योग्य रत्न हैं। 20. हे भगवंत ! मेरे उस प्रमाद के आचरण को आप सहन करो । वास्तव में पृथ्वी की उपमा वाले महान् पुरुष हमेशा सब कुछ सहन करने वाले होते हैं ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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