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श्री कायस्थिति प्रकरण. (३३) ... हवे कोटी शिला नामर्नु त्रीजु द्वार कहे छे.जोयणपिहलायामा दसन्नपबय समीव काडिसिला। जिणछक्क तित्थसिद्धा तत्थ अणेगाउ मुणि कोडी ॥१॥ ____ अर्थ-उत्सेध अंगुलना मागी एक योजन पहोळी, एक योजन लांबी अने एक योजन उंची (जाडी) कोटिशिला नामनी गोळ शिला भरतक्षेत्रना मध्य खंडमां मगध देशने विषे दशार्ण पर्वतनी समीपे छे ते कोटिशिला उपर श्री शांतिनाथ जिनेश्वरथी आरंभीने छ तीर्थकरोना तीर्थना करोडो मुनिओ सिद्ध थया छे. १८...
शो रीते सिद्ध थया ? ते कहे छे.--. पढमं संतिगणहर चकाउह णेगसाहुपरियरिआ। बत्तीसजुगेहिं तओ सिद्धासंखिज्जमुणिकोडी ॥ १९॥ ___ अर्थ-ते कोटिशिलापर प्रथम श्री शांतिनाथ जिनेश्वरना प्रथम गणधर श्री चक्रायुध अनेक साधु सहित सिद्धि पदने पाम्या छे. त्यार पछी वत्रीश युगवडे करीने एटले तेमनी पट्ट परंपरामा बत्रीश पाट सुधी संख्याता करोड मुनिओ सिद्ध थया छे. १९. संखिज्जा मुणिकोडी अडवीसजुगेहिं कुंथुनाहस्स । अरजिण चउवीसजुगा बारसकोडीओ सिद्धाओ॥२०॥ ____ अर्थ-तथा श्री कुंथुनाथ स्वामीना तीर्थमां अठावीश युग (पाट) सुधीमा संख्याता करोड मुनिओ सिद्ध थया छे. तथा श्री अरथनाथ जिनेश्वरना तीर्थमां चोवीन युग (पाट) सुधी पार करोड मुनिओ सिद्ध थया छे. २० मल्लिस्स वीसजुगा छ कोडि मुणिसुवयस्स कोडितिगं। नमितित्थे इगकोडी सिद्धा तेणेव कोडिसिला ॥२१॥ ___ अर्थ-श्री मल्लिनाथ जिनेश्वरना तीर्थमां वीश युग (पाट)