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मूल तथा भाषांतर..
राग अने देष एम वे प्रकारे गुणवाथी अगियार हजार बसोने साठ भेद थाय छे. १४. मणवयकाए गुणिमा तित्तीस सहस्स सत्त सय साया। करकारणानुमइए लख्खं सहसो ति सय चालो ॥१५॥ ____ अर्थ-ते (११२६०) ने मन, वचन अने काया वडे गुणवाथी तेत्रीश हजार सातसोने अंशी ३३७८० भेद थाय छे. तेने पण करवं, करावयु अने अनुमोदवु ए त्रण करण वडे गुणवाथी एक लाख, एक हजार त्रणसोने चाळीश १०१३४० भेद थाय छे. १५. कालतिगेणं गुणिआ ति लख्ख चउ सहस्सवीसमहिआय। अरिहंतसिद्धसाहुदेवयगुरुअप्पसंख्खोहिं ॥१६॥ अट्ठारसलख्खाई चउवीस सहस्स एगवीसहिआ। इरिआमिच्छादुक्कडपमाणमेअं सुए भणियं ॥ १७॥ ___अर्थ-ते (१०१३४०) ने त्रण काळ वडे एटले अतीतकाळ संबंधी पापने निंदु छु, अनागत (भविष्य) काळ संबंधी प्रत्याख्यान करुं छु, अने वर्तमानकाळ आश्री संवरूं छु. एम अतीत, अनागत अने वर्तमान ए त्रण काळ वडे गुणवाथी त्रण लाख, चार हजार ने वीश (३०४०२०) भेद थाय छे. तेने अरिहंत, सिद्ध, साधु, सम्यग्दृष्टि इंद्रादिक देवो, गुरु अने आत्मानी साक्षीरुप छए गुण.वाथी अढार लाख, चोवीश हजार, एकसो ने वीश (१८२४१२०) भेद थाय छे. आ प्रमाणे इर्यापथिकी मिथ्या दुष्कृतनुं प्रमाण श्रुतमां कहेलं छे. कोइ ठेकाणे आभोग अने अनाभोग रुप बेए गुणीने छत्रीश लाख, अडतालीश हजार, बसें ने चाळीश ३६४८२४० कहे छे. १६-१७.
(इति मिथ्यादुष्कृतद्वारम् ।।).