SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 18 ततस्त्वामभिधास्यन्ति नाम्ना रूद्र इति प्रजा । । इसमें रूद्र शब्द व्याख्यात है। रूद् धातुसे सम्बद्ध अरोदी: क्रिया का सम्बन्ध रूद्रसे स्पष्ट हो जाता है । फलतः रूद्र शब्दमें भी रूद् धातुका योग है ! निरुक्तमें भी रुद्धातुसे रूद्र शब्दका निर्वचन माना गया है ।" विभज्य नवधात्मानं मानवीं सुरतोत्सुकाम् रामां निरमयन् रेमे वर्षपूर्णान् मुहूर्तवत् । । 20 11. यहां रामा शब्दका निर्वचन प्राप्त होता है। रेमे क्रियासे तथा निरमयन् पदसे रामा शब्दका सम्बन्ध स्पष्ट है। दोनोंमें रम् धातुका योग है। रामा शब्द भी रम् धातुसे निष्पन्न होता है। रामा स्त्री विशेषका वाचक है । निरुक्तमें रामा शूद्राका वाचक है जो रमणके लिए होती है। 'रामा रमणाय उपेयते' अर्थात् रामा स्त्री विषय भोगके लिए ही होती है। यहां रामा शब्दमें रम् धातुका योग माना जायेगा - (नि0 12 / 2 ) 12. रा शब्दो विश्ववचनो मश्चापीश्वरवाचकः विश्वानामीश्वरो यो हि तेन रामः प्रकीर्तितः । । रमते रमया सार्द्धं तेन रामं विदुर्बुधाः रामाणां रमणस्थानं रामं रामविदो विदुः । । राश्चेति लक्ष्मीवचनो मश्चापीश्वर वाचकः लक्ष्मीपति गतिं रामं प्रवदन्ति मनीषिणः । । 21 इन श्लोकोंमें राम शब्दका निर्वचन प्राप्त होता है। प्रथम एवं तृतीय श्लोकमें अक्षरात्मक निर्वचन है तथा द्वितीयमें रम् धातुसे उसे निष्पन्न माना गया है। रम् धातुसे राम माननेमें ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक संगति है । पुराणोंके इन निर्वचनोंसे स्पष्ट होता है कि ये निर्वचन ध्वन्यात्मक दृष्टिसे भी महत्त्वपूर्ण हैं । कुछ अक्षरात्मक निर्वचनमें वैज्ञानिकताकी कमी रहती है, लेकिन उससे उसका इतिहास स्पष्ट हो जाता है। पुराणके निर्वचनोंमें धार्मिक एवं कार्मिक आधार भी अपनाये गये है ये निर्वचन यास्क के निरुक्तसे प्रभावित हैं । ३६ व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy