SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 586
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५४८ कातन्त्रव्याकरणम् [रूपसिद्धि] १. पादघातं भूमिं हन्ति । पाद- हन्- णम्-टा । पादेन हन्ति। 'पाद' के उपपद में रहने पर 'हन् हिंसागत्योः ' (२।४) धातु से प्रकृत सूत्र द्वारा 'णम्' प्रत्यय, हकार को घकार, नकार को तकार तथा विभक्तिकार्य। २. मुष्टिघातं चौरं हन्ति । मुष्टि हन्- णम्+टा । मुष्ट्या हन्ति। 'मुष्टि' पूर्वक 'हन्' से णम् प्रत्यय आदि कार्य पूर्ववत् ॥१३०६ । धातु १३०७. हस्तार्थे ग्रहवर्तिवृताम् [४ । ६ । २२] [सूत्रार्थ] करण कारक में हस्त के उपपद में रहने पर 'ग्रह - वर्ति-वृत्' धातुओं से 'णम्' प्रत्यय होता है ।। १३०७। [दु०वृ०] हस्तार्थे करणवाचिन्युपपदे एषां णम् भवति। हस्तग्राहं गृह्णाति । हस्तेन गृह्णातीत्यर्थः । एवं करग्राहं गृह्णाति । हस्तेन वर्तयति हस्तवर्तं वर्तयति । हस्तेन वर्तते हस्तवर्तं वर्तते।।१३०७। [वि०प०] हस्तार्थे। वर्तीति। वृतेरेवायमिनन्तो निर्देशः ।। १३०७। [समीक्षा] 'हस्तग्राहम्, हस्तवर्तम्' शब्दरूपों के सिद्ध्यर्थ कातन्त्रकार 'णम्' प्रत्यय तथा पाणिनि 'णमुल्' प्रत्यय करते हैं। पाणिनि का सूत्र है - "हस्ते वर्तिग्रहो ” (अ० ३।४।३९)। पाणिनि ने 'हस्तवर्तम्' शब्दरूप की सिद्धि केवल णिजन्त वृत् धातु से की है, जबकि कातन्त्रकार 'वृत् वर्ति' दोनों ही धातुओं से करते हैं। इस प्रकार कातन्त्र में उत्कर्ष सिद्ध होता है। [रूपसिद्धि] १. हस्तग्राहं गृह्णाति । हस्त + ग्रहणम्+ सि । हस्तेन गृह्णाति । 'हस्त' पूर्वक 'ग्रह उपादाने' (८/१४) धातु से णम् प्रत्यय, उपधादीर्घ तथा विभक्तिकार्य। • २-३. हस्तवर्तं वर्तयति। हस्त+वर्ति +णम्+सि । हस्तेन वर्तयति । हस्तवर्तं वर्तते । हस्तपूर्वक 'वर्ति-वृत्' धातु से णम् प्रत्यय आदि कार्य पूर्ववत् ।। १३०७ । १३०८. स्वार्थे पुषः [ ४।६।२३ ] [सूत्रार्थ] स्वार्थवाचक करण के उपपद में रहने पर 'पुष' धातु से णम् प्रत्यय होता है ।। १३०८ |
SR No.023091
Book TitleKatantra Vyakaranam Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJankiprasad Dwivedi
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year2005
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy