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तृतीये आख्याताध्यायेऽष्टमो धुडादिपादः
४८१ अन्तर यह है कि पाणिनीय प्रक्रिया के अनुसार आकारलोपादि कार्य पहले प्रवृत्त हो जाते हैं, इसके बाद द्वित्वविधानार्थ उन कार्यों का स्थानिवद्भाव किया जाता है । उनका सत्र है - "द्विवचनेऽचि" (अ० ११११५९) । जब कि कातन्त्रकार द्विवचन के बाद आकारलोपादि का नियम बनाते हैं । वस्तुतः कातन्त्रकार की ही प्रक्रिया यहाँ प्रशस्त प्रतीत होती है;
[विशेष वचन १. येन विना यन्न भवति तत् तस्य निमित्तम् (दु० वृ०)। २. द्विवचननिमित्तस्थावयवस्वरोऽपि द्विवचननिमित्तमिहोच्यते (दु० टी०) ३. विधीयते इति विधिः, कर्मसाधनोऽयं न भावसाधन: (दु० टी०)। ४. केचिदिह कृतग्रहणं न पठन्ति, लुग्लोपे न प्रत्ययकृतमित्यतो नञम् अनुवर्तवन्ति
(दु० टी०)। ५. द्विर्वचनं द्विः प्रयोगो द्विरुच्चारणमित्यर्थः (वि० प०)। ६. विधिशब्दः कर्मसाधनः, विधीयते इति विधिः कार्यम्, न पुनर्विधानं विधिरिति
भावसाधन: (वि० प०)। ७. तस्मान्न शास्त्रे कार्यिणो निमित्तत्वमाश्रीयते (वि० प०)। ८. उवादेशं प्रत्यनर्थकमेवासवर्णग्रहणम्, एकवाक्यनिर्दिष्टत्वात् (वि० प०)। ९. सहग्रहणात् स्वरस्य कार्यित्वं प्रतिपादितं टीकाकृता, तस्मादुक्त एव सिद्धान्तः
(बि० टी०)। [रूपसिद्धि
१. पपतुः । पा + परोक्षा - अतुस् । 'पा रक्षणे' (२।२१) धातु से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक परस्मैपद प्र० पु० - द्विव० 'अतुस्' प्रत्यय, “चण्परोक्षाचेक्रीयितसनन्तेषु" (३।३।७) से द्विवचन, अभ्याससंज्ञा, प्रकृत सूत्र के नियमानुसार द्विवचन के अनन्तर “आलोपोऽसार्वधातुके" (३।४।२७) से धातुगत आकार का लोप तथा “रसकारयोर्विसृष्टः" (३।८।२) से सकार को विसर्गादेश ।
२. आटिटत् । अट् + इन् + चण + अद्यतनी-दि । इनन्त 'अट गतौ' (१।१०२) धातु से अद्यतनी-प्र० पु०- ए० व० “दि' प्रत्यय, आदिस्वरवृद्धि, चण् प्रत्यय, द्विवचनादि, प्रकृत सूत्र के नियमानुसार द्विवचन के बाद इन-लोप, तथा दकार को तकारादेश। _____३. जग्मतुः । गम् + परोक्षा-अतुस् । ‘गम्ल गतौ (१।२७९) धातु से परोक्षाविभक्तिसंज्ञक परस्मैपद-प्र० पु० - द्विव० 'अतुस्' प्रत्यय, द्विर्वचन, अभ्यासकार्य, प्रकृत सूत्र के नियमानुसार द्विर्वचन के पश्चात् “गमहनजनखनघसामुपधाया: स्वरादावनण्यगुणे” (३।६।४३) से धातु की उपधा अकार का लोप तथा सकार को विसर्गादेश।
४. इयाय । इण् + परोक्षा-अट् । 'इण् गतौ' (२।१३) धातु से परोक्षासंज्ञक 'अट्' प्रत्यय, द्विर्वचनादि, प्रकृत सूत्र के नियमानुसार द्विवचन के अनन्तर वृद्धि तथा आय आदेश ।