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हेमचन्द्र के अपभ्रंश सूत्रों की पृष्ठभूमि
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'प्राकृत भाषाओं का व्याकरण' 89 | ए कंपैरेटिव ग्रामर आव् द मॉडर्न आर्यन लैंग्वेजेज आव् इडिया-खंड 1, पृ० 12-बीम्स–'देशजज आर दोज वर्ल्ड हिच कैन नॉट बी डिराइव्ड फ्रॉम एनी संस्कृत वर्ड ऐंड आर देयरफोर कंसिडर्ड टू हैव बीन बॉरोड फ्रांम द अबौरिजिनीज ऑवद कंट्री ऑर इन्वेंटेड बाइ द आर्यंस इन पोस्ट-संस्कृतिक टाइम्स ।' ए कंपैरेटिव ग्रामर आव् द गोडियन लैंग्वेज (1880), भूमिका पृ० 39-41| भंडारकर:-'विल्सन फाइलोलाजिकल लेक्चर, 1914 पृ० 106। इंट्रोडक्शन टु कंपरेटिव फिलोलोजी, पृ० 22 गुणेः । 'दे आर फाउंड एकागि टु मोर ऑकल्ट फोनेटिक- ग्रामैटिकल लॉज डिफरिंग फ्राम द आँब्बियस वंस, हिच ग्रैमेरियंस एंबौडीड इन देयर व्याकरणाज'-पाइयलच्छी नाममाला, भूमिका । इंडियन ऐंटीक्वेरी, भाग 17, पृ० 33 तथा आगे। जे० आर० ए० एस० 1919, पृ० 2351 डॉ० ग्रियर्सन। 9 (69-1)। 'दो नाट यूज्ड इन इंडियन लिटरेचर, दे मे हैव वीन इन यूस इन दि मोस्ट आव दि पीपुल ऐंड मे बी करेंट अंडर सम स्लाइट डिस्गाइज इन दि माउथ आव् लिथुआनिअन पेजेंट्स इवेन येट ।'-कंपैरेटिव ग्रामर आव् आर्यन लैंग्वेजेज इन इंडिया, पृ० 24| पिशेल : देशी नाममाला, सन् 1938, भूमिका, अनु० वेंकेट रामानुजम् पृ० 101 कंपैरेटिव ग्रामर आव् दि माडर्न इंडियन लैंग्वेजेज, भूमिका पृ० 381 देशी नाममाला-भूमिका-पृ० 30। पाइय सद्दमहण्णवो, कलकत्ता, संवत् 1985, भूमिका, पृ० 6। प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, भूमिका 9. पृ० 13 ।
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