________________
ap
| ५
[3] फूटती विगतो :| ન., ધાતુ | કાળ/અર્થ પુરુષ વચન રૂપ ગણ પદ | અર્થ वन् बस्तन भूत
अवन्वहि ૮ | આત્મપદી અમે બેએ માંગ્યું | 2. | ऋ | माशार्थ | | २ | |
ऋच्छत | १ | ५२स्मैपही। तभेमो હ્યસ્તન ભૂતકાળ |
अशृणोत् | ५ પરમૈપદી] તેણે સાંભળ્યું 4.| शो | माशार्थ | १ | १ श्यानि પરમૈપદી| હું છોલું 5. सं+स्तृ बस्तन (भूत ) २ | २ |समस्तृणुतम् | ५ ઉભયપદી તમે બેએ પાથર્યું હતું [4] पूटती विगतो :| નં. | અર્થ | કાળ/અર્થ |પુરુષ વચન પ્રત્યય/મૂળધાતુ | રૂપ |ગણ | પદ 1. | १२ २j | भाशार्थ | २ | १ | हि | वशी+कृ | वशीकुरु | ८ | 3114 2. मानवु बस्तन ... 3 | १ | त् । म्ना | अमनत् | १ |परस्मैपहा | शोधपुं । माशार्थ |
वि+चि विचिनुतम् ઉભયપદી 4. | ३aj |यस्तन भू..१ | 3 | म | प्र+तन् । प्रातन्म | ८ | मयपही | 5. | स्तुति ४२वी/ ाशार्थ | 3 | २ | ताम् | पन् | पनायताम् | १ | उभयपही [5] पूटती विगतो पूरो :નં. મૂળધાતુ, કાળ/અર્થ |ગણ, પદ પુરુષ એકવચન | દ્વિવચન | બહુવચન | अश् बस्तन ..J५ आत्मनेपट्टी| १ | आश्नुवि | आश्नुवहि | आनुमहि
| माशार्थ | ५ | अभयपी । २ । धुनु | धुनुतम् । धुनुत 3.| धृष् यस्तन म...] ५ | ५२स्प ही उ | अधृष्णोत् | अधृष्णुताम् | अधष्णुवन् घ्रा । सार्थ । | પરમૈપદી
जिघ्र | जिघ्रतम् | जिघ्रत 5.] भ्रस्ज् यस्तन (भू...]६ | ઉભયપદી अभृज्जम् | अभृज्जाव | अभृज्जाम [6] 34033i :A
A
B 1. प्रहिणोमि - गृहामि 6. प्रहिण्वन्तु - गृहन्तु 2. प्राहिणोत् - अगृहत् 7. प्रहिणुतम् - गृहतम् 3. प्राहिणुत - अगूहत 8. प्राहिण्वन् - अगूहन् 4. प्रहिणुथः - गृहथः 9. प्राहिण्व - अगृहाव
5. प्रहिणु - गृह [7] ३५ो :1. शक् - २५५-५.५२स्मै५४, शक्तिमान|2. घ्रा [जिघ्र]-५-१ ५२स्मैप:
હોવું, હ્યસ્તનભૂતકાળનું કર્તરિ રૂપ | આજ્ઞાર્થનું કર્તરિ રૂપ अशक्नवम् अशक्नुव अशक्नुम । जिघ्राणि जिघ्राव जिघ्राम अशक्नोः अशक्नुतम् अशक्नुत । जिघ्र जिघ्रतम् जिघ्रत अशक्नोत् अशक्नुताम् अशक्नुवन् । जिघ्रतु जिघ्रताम् जिघ्रन्तु
NOM
B
है स२८ संस्कृतम् - 3
• ७६ .
पाठ-२/४3