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भगवान महावीर
ए कथा जानिते सुनिश्चय ज्ञातपुत्र,
अनित्य ए संसारेर किछू सत्य नय सेइ जय श्रेष्ठ जय
जे करे छे आपनार लय जे करे छे अधिकार
आत्मार कठिन दूर्ग क्षय नेइ, क्षति नेइ तार
वन्ध केनो, सेई विश्वजयी |
ताइ ए. मृन्मयी
पृथिवीर आसक्त बन्घन
छिन्न करि चले गेले, छिन्न-बाधा निहारिका ज्योतिर मतन अमित जीवन ।
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तारपर
निरन्तर
से दुर्ग करते अधिकार
तू ले निले स्कन्धे जेइ सुकठिन संयमेर भार
ये कृच्छ साधन
दिवसेर निशीथेर