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________________ लगाये। इन उद्योगों ने देश के हजारों बेरोजगारों को रोजगार प्रदान किया। साहू परिवार ने कागज, चीनी, वनस्पति, सीमेंट, पाट निर्मित वस्तुएँ, भारी रसायन, नाइट्रोजन, खाद, पावर, एल्कोहल, प्लाइवुड आदि से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना को। साहू परिवार के अतिरिक्त उत्तरप्रदेश जैन समाज के अन्य उद्योगपतियों ने भी देश के आर्थिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इन उद्योगपतियों में सासनी (हाथरस) के छेदीलाल जैन एवं प्रकाशचन्द्र जैन ने 1932 में सासनी में उत्तर भारत के सबसे बड़े काँच कारखाने ‘खण्डेलवाल ग्लास वर्क्स' की स्थापना की। इस कारखाने की शाखाएँ अन्य स्थानों पर भी खोली गयी। आगरा के सेठ अचलसिंह ने उत्तर प्रदेश में नये-नये उद्योगों की स्थापना कराने हेतु काफी प्रयत्न किये। 1938 में सेठ जी ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उद्योगमंत्री डॉ. कैलाशनाथ काटजू की सहायता से प्रदेश में विभिन्न उद्योग लगाने हेतु धनवानों को प्रोत्साहित किया। नवम्बर 1938 में सेठ जी ने लखनऊ में संयुक्त प्रान्तीय औद्योगिक सम्मेलन का आयोजन कराया। इस सम्मेलन में पूरे प्रदेश के उन प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की, जो उद्योग लगाने में इच्छुक थे। यह सम्मेलन अपने उद्देश्यों में सफल रहा। सेठ अचल सिंह जो पशुधन को देश के आर्थिक विकास की रीढ़ मानते थे, ने देश के पशुधन को सुरक्षित रखने के लिए आगरा में 24-26 दिसम्बर 1945 को अखिल भारतीय पशु रक्षा सम्मेलन का विशाल आयोजन कराया। पूरे भारत में अपने तरह का यह अनूठा तथा प्रथम सम्मेलन था। इस सम्मेलन ने भारतवासियों के मन में अपने पशुधन के प्रति आकर्षण पैदा किया। समाजसेवा हेत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं, औषद्यालयों, धर्मशालाओं आदि की स्थापना भी जैन समाज द्वारा की गई। इन संस्थाओं ने जाति-पाति के भेदभाव से ऊपर उठकर सच्चे मन से भारतीय नागरिकों की सेवा की। विभिन्न स्थानों पर कई डिग्री कॉलेज, 25-30 स्थानों पर जैन हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट कॉलेज तथा लगभग 100 जूनियर प्राइमरी स्कूल व प्राथमिक पाठशालाएँ जैन समाज द्वारा खुलवाई गयी। जैन संत गणेशप्रसाद वर्णी, ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद आदि ने प्रदेश में व्यापक भ्रमण करके विभिन्न सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में अहम् भूमिका निभाई। जैन धनवानों ने अपने धन से कई सामाजिक ट्रस्टों की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने अनेक प्रकार से समाजसेवा में हाथ बँटाया। कुछ जैन नागरिकों ने अंग्रेजों से प्रभावित होकर रायबहादुर की उपाधि ग्रहण कर ली, परन्तु उन्होंने देशद्रोही कार्यों में कभी सरकार का साथ नहीं दिया। पुरुषों के साथ-साथ जैन परिवार की महिलाओं ने भी समाजसेवा हेतु काफी कार्य किये। श्रीमती लेखवती जैन, श्रीमती चन्द्रवती जैन आदि महिलाओं ने समाजसेवा के आदर्श उदाहरण समाज के समक्ष प्रस्तुत किये। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राजनीतिक क्षेत्र में भी उत्तरप्रदेश के 210 :: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में उत्तरप्रदेश जैन समाज का योगदान
SR No.022866
Book TitleBhartiya Swatantrata Andolan Me Uttar Pradesh Jain Samaj Ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmit Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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