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________________ और रोजगारमूलक प्रवृतियों से बहुत सक्रियता के साथ जुड़ रहे हैं।.....लोग अहिंसा प्रशिक्षण के कार्य को वर्तमान की समस्या का सबसे बड़ा समाधान मान रहे हैं। देश के ही नहीं, विदेश के लोग आए, अभी अमेरिका, रूस और जर्मन के लोग आए। सबने हमारे प्रयत्नों की सराहना की। अहिंसा यात्रा की अनुगूंज सात समंदर पार पहुंची। अहिंसा यात्रा के चरण गुजरात की उस धरा पर टिके जहाँ गोधरा काण्ड की हिंसात्मक दर्दनाक घटना की त्रासदी ने लोगों के दिलों में नफरत पैदा कर दी। सांप्रदायिक वैमनस्य को सद्भावना का बोध पाठ पढाने स्वयं महाप्रज्ञ रथयात्रा में शामिल हए। रथयात्रा के 12 वर्ष के इतिहास में यह पहला अवसर था जब कोई जैन मुनि उस यात्रा में शामिल हुए। इस यात्रा संबंधी महाप्रज्ञ का अनुभव रहा-अगर हमारी सद्भावना हो, हमारा प्रयत्न हो तो कठिन से कठिन परिस्थिति में, तनाव के वातावरण में भी शांति की लौ जलाई जा सकती है। रथयात्रा निकलने से पहले मुस्लिम भाइयों द्वारा ही यह सचना मिली कि ऐसे कछ अराजक तत्त्व रथयात्रा में विघ्न डालने की परी तैयारी कर चके हैं। दंगे में प्रयुक्त होने वाला सामान जुटाया जा रहा है। किंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि स्वयं मुसलमानों ने ही पुलिस को यह सूचना देकर पहले ही पुलिस प्रशासन को सावधान कर दिया। जिससे वे लोग अपनी योजना को कार्यरूप में परिणत नहीं कर सके। इससे पूर्व हिन्दू-मुस्लिम एकता के पैगाम से भावित अहिंसा यात्रा के नायक आचार्य महाप्रज्ञ के चरण ख्वाजा साहब की दरगाह अजमेर में टिके और सभी को मानवता का संदेश दिया। अहिंसा का सिंहनाद करते हुए अहिंसा यात्रा मुम्बई भिंवडी के उस इलाके में पहुंची जहाँ मुस्लिम बहुल नागरिकों का निवास है। वहाँ के प्रमुख नागरिकों ने आचार्य महाप्रज्ञ को कुरान शरीफ भेंट की और तहेदिल से स्वागत किया। भाईचारे-सद्भावना-सौहार्द का अद्भुत नजारा अहिंसा यात्रा ने निर्मित किया। इसका एक प्रसंग उदाहरणर्थ प्रस्तुत है-महाराष्ट्र के ठाणे नगर में गृह राज्यमंत्री विजय दर्डा आए। उन्होंने कहा-'आचार्यश्री! आज मैंने एक नया दृश्य देखा।' कैसा दृश्य-'आपकी सभाओं और यात्राओं में मुसलमान भी आते है। मैंने यह बात दूसरों के साथ बहुत कम देखी है। यह समुदाय पता नहीं क्यों जल्दी से दूसरों के साथ घुलमिल नहीं पाता।' मैंने (महाप्रज्ञ) कहा-'आपने केवल एक जगह देखा। हकीकत यह है कि यहाँ तो बहुत कम मुस्लिम भाई आए हैं, इनकी उपस्थिति दूसरे स्थानों पर बहुत ज्यादा रही है। इस कथन की पृष्ठभूमि में महाप्रज्ञ का अनभव बोल रहा था। मंबई यात्रा के दौरान भिंडी बाजार जैसे क्षेत्रों में गये तो अहिंसा यात्रा के नायक की अगवाणी में चार-पाँच सौ मुसलमान भाई हाथों में अहिंसा ध्वज एवं शांति के नारों वाले बैनर थामें चल रहे थे, स्वागत द्वार पर अमन और दोस्ती का पैगाम था। ऐसे अनेक प्रसंगो की भावभूमि है आचार्य महाप्रज्ञ के आभामंडल से निकलने वाली पवित्र रश्मियाँ । इन रश्मियों में हर दिल को छूने की शक्ति थी चूंकि वे आत्मा, नैतिकता और मानवता के रसद से संचालित . अहिंसा यात्रा का कारवाँ राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के मुम्बई नगरी तक पहुँचा। अनेक गणमान्य व्यक्ति-भारत के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से लेकर झोंपड़पट्टी में बसेरा करने वाले लोग भी महाप्रज्ञ के संपर्क में आये। महाप्रज्ञ ने जीवनगत समस्याओं का समाधान अहिंसा में बतलाया। उनके संपर्क में ऐसे व्यक्ति भी आये, जिनकी आस्था हिंसा में थी। उन्हें आगाह किया कि अहिंसा ही ऐसा रास्ता है जो प्रतिक्रिया से मुक्त है। हिंसा प्रतिक्रिया पैदा करती है और 364 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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