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________________ ‘आध्यात्मिक दृष्टि से शांति स्थापित करना और भौतिक दृष्टि से शांति की प्रतिष्ठापना में रात-दिन का अंतर है।' इस अंतर की अंतहीन दूरी को पाटने का सार्थक उपक्रम है अहिंसा यात्रा। करूणा के पर्याय भारत ज्योति आचार्य महाप्रज्ञ ने जीवन के नवेंदशक में कठोर यात्रापथ का अनुशीलन कर एक बार पुनः गांधी की ‘डांडी-मार्च' को जीवंत बनाया। लक्ष्य की भिन्नता के बावजूद अहिंसा यात्रा ने जन जागृति की लहर पैदा की वह सामयिक परिस्थितियों में महत्त्वपूर्ण है। इस यात्रा ने न केवल प्रबुद्ध अथवा संपन्न लोगों को प्रभावित किया अपितु अनपढ़-गँवार एवं अभाव की जिंगदी जीने वालों में भी प्रेरणा और प्रोत्साहन भरकर जीने का अभिनव अर्थ प्रदान किया है। गांधी की डांडी मार्च की पृष्ठभूमि थी अनैतिक कानूनों का अन्त करना। लोक महर्षि आचार्य महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा की पृष्ठभूमि बनें अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी के अमोघ वचन 'अणुव्रत की पदयात्रा से राष्ट्र व्यापी पृष्ठभूमि का निर्माण हुआ है। अब यदि पुनः पदयात्रा हो तो उसके सकारात्मक परिणाम आयेंगे।' तात्कालीन निमित्त बना भगवान महावीर की 2600 वीं जन्मजयंती के उपलक्ष में भारत सरकार द्वारा घोषित 'अहिंसा-वर्ष'। महाप्रज्ञ ने अनुभव किया घोषणा के अनुरूप कार्य नहीं हो रहा है। मंथन पूर्वक महाप्रज्ञ ने 5 दिसम्बर 2001 को राजस्थान के चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे से त्रिवर्षीय 'अहिंसा यात्रा' का घोषणा पूर्वक शुभारंभ किया। इसकी कालावधि जन मानस भावनाएँ और निष्पत्तियों को देखते हए जनता के आग्रह पर बढाकर 2008 तक की गई। इसका कुल यात्रा पथः 9313.5 कि.मी. है। दोनों महापुरूषों की (युवाचार्य महाश्रमण) 11 हजार 433 कि. मी. अहिंसा यात्रा रही। सप्त वर्षीय अहिंसा यात्रा का मंचनकर अधिशास्ता ने देश की जनता को शांति का संदेश दिया। ___ अहिंसा यात्रा की सफलता का राज है इसके विराट् उद्देश्य की समायोजना। हिंसा के बढ़ते दावानल को अहिंसा के अमृत जल से शांत करना। भारतीय संस्कृति के दिव्य स्तूप प्रेम, सौहार्द, भाईचारे के परस्परता मूलक मूल्यों को स्थापित करना। अहिंसात्मक शक्तियों को संगठित कर हिंसा की आस्था को धूमिल करना। जन-जन में अहिंसक चेतना का जागरण और नैतिक मूल्यों का विकास इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य था। नकारात्मक भाव हिंसा के जनक हैं अतः नकारात्मक भावों को सकारात्मक बनाना। प्रयोग और प्रशिक्षण के द्वारा आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण करना। बहुउद्देशिय अहिंसा यात्रा का एक उद्देश्य यह भी था-'जनता को अहिंसा का स्वर भी सुनाई देता रहे।' हजारोंहजारों ऐसे युवक हैं, जो अहिंसा का नाम भी नहीं जानते। वे केवल गोली और बम की भाषा को समझते हैं और उसी वातावरण में साँस लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों से भी संपर्क साधना। इस अभियान में विशेषरूप से पूर्वांचल के सीमांतवासी उग्रवादी युवकों से बातचीत पूर्वक विश्वास में लेकर उन्हें अहिंसा का सिद्धांत समझाया गया। उन्होंने साश्चर्य कहा 'यह अहिंसा की बात हमने सुनी ही नहीं। यह बात हमें बहुत अच्छी लग रही है इसके बारे में हमें अभी तक किसी ने बताया ही नहीं। ऐसे ही लाखों लोगों को अहिंसा का संदेश पहुंचाना इस यात्रा का आशय रहा है। उद्देश्य अहिंसा यात्रा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए महाप्रज्ञ ने बताया-अहिंसक चेतना का जागरण और नैतिक मूल्यों का विकास इस यात्रा का लक्ष्य है। जब लोग जागृत होंगे तब वे हर घटना को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखेंगे। नकारात्मक भाव से हिंसा का वातावरण पैदा होता है। अहिंसा यात्रा का एक 362 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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