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________________ से नमक के इस निर्दय एकाधिकार को सहन करते रहे। मैं जानता हूँ कि आप मुझे गिरफ्तार करके मेरे प्रयत्न को विफल कर सकते हैं। उस दशा में मुझे आशा है कि मेरे पीछे हजारों आदमी नियमित रूप से यह काम सम्हालने को तैयार होंगे। नमक के घृणित कानून को तोड़ने के कारण जो सजाएँ दी जायेंगी, उन्हें वे खुशी-खुशी बर्दास्त करेंगे। पत्र की पंक्तियाँ गांधी के असीम आत्मबल को प्रकट करती है जो उन्हें अहिंसा की साधना से प्राप्त था। दाण्डी कूच के बीच उन्होंने यह घोषणा की-'आजादी नहीं मिली तो रास्ते में मर जाऊँगा या आश्रम के बाहर रहूँगा। नमक कर न उठा सका तो आश्रम लौटने का भी कोई इरादा नहीं है।' उनके संकल्प ने भारतीय जन-मानस को आंदोलित किया। दाण्डीयात्रा के दौरान वे जहाँ पहुँचते, वहाँ हजारों लोग एकत्र होते। बापू के विचारों से अवगत होते। वे यात्रा का भरपूर आतिथ्य करते। आतिथ्य ग्रहण में भी गांधी बड़े सजग रहते। बरबादी उन्हें असह्य थी। गरमी के दिन थे। तरबूजों और खरबूजों का मौसम था। एक पड़ाव पर लोग गाड़ियों में भर-भरकर तरबूज और खरबूजे लाये। वे इतने थे कि खाये नहीं जा सकते थे। फल वहाँ बरबाद हो रहे थे। कोई आधा ही खाकर फेंक देता। महात्मा ने वह दृश्य देखा। अपने भाषण में प्रतिकार की भाषा में बोल उठे-'आप लोगों ने मेरा सिर नीचा कर दिया। देश में एक तरफ भूखमरी है, आधा पेट खाकर जीने वाले लोग हैं और यहाँ मेरी स्वातन्त्र्य यात्रा में इस तरह की बरबादी होती है। अपनी वेदना मैं कैसे व्यक्त करूँ? फिर से ऐसा पाप नहीं करना। 26 गांधी के ये हित शिक्षामृत वचन सुनकर यात्री सजग बन गये। ___24 दिन के बाद गांधी दाण्डी पहुँचे। समुद्र तटपर उन्होंने नमक-कानून तोड़ा और कहा-'नमककानून तोड़ा जा चुका है। अब जो कोई सजा भुगतने को तैयार हो वह जहाँ चाहे और जब सुविधा देखे नमक बना सकता है।' इस आह्वान के साथ जगह-जगह सभाएँ हुई। पूना, कराची, मद्रास, सोलापुर, कलकत्ता, दिल्ली हर जगह लोग अगली कार्यवाही के लिए अधीर हो रहे थे। गांधी ने घोषणा की अब धारासना का नमक-भण्डार लूटा जायेगा। वाइसराय को पत्र से सूचित किया-या तो वे नमक कर उठा लें या सत्याग्रहियों की गिरफ्तारी करें या मन चाहा गुण्डापन दिखायें। उत्तर में पाँच अप्रैल को गांधी को गिरफ्तार करके यरवदा जेल भेज दिया गया। जाते हुए वे लिखवा चुके थे–'यदि इसे शुभारम्भ मान लिया जाये, तो पूर्ण स्वराज्य मिले बिना नहीं रहेगा। मुट्ठी टूट जाये, लेकिन खुलनी नहीं चाहिए।' इस दृढ़ प्रतिज्ञ संदेश ने सत्याग्रहियों के भीतर अद्भुत चेतना का संचार किया। आंदोलन के तहत् लोगों ने हंसते-हंसते यातनाएँ झेली। हजारों की संख्या में लोग जेलों में लूंस दिये गये। यातना और अनुशासन के दृश्य को चित्रित करते हुए। 'न्यूफ्रीमैन' के संवाददाता ने लिखा 'धारासना जैसे पीड़ादायक दृश्य में मेरे देखने में नहीं आये। कभी-कभी तो ये इतने दःखद हो जाते कि क्षण-भर को आँखें भर लेनी पड़ती थी। स्वयंसेवकों का अनुशासन अद्भुत था। लगता था कि इन लोगों ने गांधीजी की अहिंसा को धोलकर पी लिया।27 यह अतिरंजना नहीं, आँखों देखे सत्य का निदर्शन है. जिसमें गांधी की जीवंत अहिंसा का दर्शन है। दाण्डी यात्रा के सकारात्मक परिणाम निकले। सरकार के साथ संघर्ष में हिन्दुस्तान की जीत हुई। वायसराय ने गांधी से समझौता किया। संसार में हिन्दुस्तान की प्रतिष्ठा बढ़ी। नमक के लिए दाण्डी यात्रा अहिंसा की शक्ति के परीक्षण का एक अभिनव प्रयोग था। यह एक नैतिक आन्दोलन था जिसके द्वारा शासन को खुली चुनौती दी गयी थी। नमक-कानून तोड़ने का एक मात्र उद्देश्य था सरकार की शोषणमयी नीति का अन्त करना/साथ ही पूर्ण आजादी के लिए एक अच्छी शुरुआत करना। भेद दृष्टि के आधारभूत मानक / 361
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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