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________________ . सहिष्णुता का अर्थ है-संवेग पर नियंत्रण। . सहिष्णुता का अर्थ है-असहयोग। . सहिष्णुता का अर्थ है-सुधार के लिए अवसर देना। इनके अतिरिक्त सहिष्णुता का अर्थ है-अनुकूलता एवं प्रतिकूलता को सहना। जीवन में आने वाली परिस्थितियों को झेलने का मनोबल इस मूल्य से बढ़ता है। सहिष्णुता के विकास की महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं . परिस्थितियों को झेलना। . दूसरे व्यक्ति को सहन करना। . अपने से भिन्न विचारों को सहन करना। . राग और द्वेष की तरंगों का सामना करना 15 महाप्रज्ञ के इस चित्रण से सुस्पष्ट है कि सहिष्णुता एक ऐसा मूल्य है जिसका संबंध वैयक्तिक शांति, सामाजिक समरसता एवं विश्व शांति से है। ___ मृदुता सामूहिक जीवन की सफलता का सूत्र है। यह व्यक्ति के जीवन में सरसता भरती है। मृदु स्वभाव में लोच होती है। जो कार्य कठोर अनुशासन से नहीं होता वह मृदुता से हो जाता है। नैतिक चेतना का सूत्र है-मृदु व्यवहार। नैतिकता और मृदुता को अलग-अलग नहीं समझा जा सकता। ____ अभय जीवन विकास का आधारभूत मूल्य है। भगवान् महावीर ने अहिंसा पर बहुत बल दिया। उन्होंने कहा-'डरो मत। किसी से मत डरो। न बीमारी से डरो, न मौत से डरो, न कष्ट से डरो और न भूत से डरो। किसी से मत डरो। यह तभी सिद्ध होगा जब हम दूसरों को डराएंगे नहीं, सताएंगे नहीं, दूसरों को कष्ट नहीं देंगे, अपनी ओर से दूसरों का तिलमात्र भी अनिष्ट नहीं करेंगे। जैसेजैसे यह चेतना जागती जाएगी, अभय की चेतना अपने आप विकसित होती चली जाएगी।46 अभय अहिंसा का साधन है। जहाँ भय है वहाँ अहिंसा नहीं हो सकती। भय और अहिंसा का कोई मेल नहीं, कोई संगति नहीं। धर्म और अहिंसा दोनों का मूल मंत्र है अभय। अभय की चेतना का विकास संकल्प एवं अनुप्रेक्षा के प्रयोग से किया जा सकता है। आत्मानुशासन मूल्य का विकास वैयक्तिक और सामुदायिक दोनों पक्षों को प्रभावित करता है। आत्मानुशासन का अर्थ है अपनी इन्द्रियों और मन पर विवेक का अंकुश रखना। पर-शासन से ऊपर उठने वाला स्व-शासित हो जाता है। स्व-शासन का विकास होने पर समाज में अव्यवस्था नहीं होगी, किन्तु एक विशेष व्यवस्था होगी। नियम कृत्रिम नहीं होगा, किन्तु सहज होगा। प्रेरणा का मूल भय नहीं कर्तव्यनिष्ठा होगी। स्वतन्त्रता और आत्मानुशासन के संबंध को प्रकट करते हुए महाप्रज्ञ ने बताया-जनतन्त्र का मूल आधार है-स्वतन्त्रता और उसका मूल आधार है-व्यक्ति का आत्मानुशासन। जब कोई व्यक्ति अपने आप पर अपना नियन्त्रण रख सकता है, तभी वह स्वतन्त्रता की लौ प्रज्ज्वलित कर सकता है। अधिनायकता के युग में भय और आतंक का राज्य होता है, इसलिए व्यक्ति के आत्मानुशासन का विशेष मूल्य नहीं होगा। जनतन्त्र के युग में अभय का राज्य होता है, इसलिए उसमें आत्मानुशासन का मूल्य बढ़ जाता है। चूंकि स्वतन्त्रता का अर्थ है आत्मानुशासन का विकास। शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में जीवन-विज्ञान का अर्थ है बौद्धिक विकास के साथ भावनात्मक विकास का सन्तुलन हो। भावनात्मक विकास का एक पहलू है-नैतिक विकास। इसके दो रूप हैं-सामाजिक नैतिकता और वैयक्तिक नैतिकता। सामाजिक नैतिकता और अनुशासन के संदर्भ में समाज या संस्था के नियम उपनियम व्यक्ति की वासना, वृत्तियाँ, संवेग की समस्या को बिना विचारे बनाये जाते हैं। 342 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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