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________________ . गीता में ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु, सर्वभूत हितेरताः।' . जैनाचार्य समंतभद्र ने - 'सर्वोदय तीर्थमिदं त्ववेव' स्पष्टतया 'सर्वोदय' शब्द का प्रयोग किया। ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो इसके आध्यात्मिक और सामाजिक उभय अर्थ ध्वनित हैं। आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रस्किन के 'अन्टू दिस लास्ट' का गुजराती छायानुवाद 'सर्वोदय' गांधी ने किया। गांधी ने सर्वोदय विचार को सामाजिक संदर्भ में प्रयुक्त करते हुए इसके मुख्य तीन पहलू प्रकट किये 1. एक व्यक्ति की भलाई सभी की भलाई में निहित है। 2. वकील और नाई के काम भी समान हैं क्योंकि सभी को अपने काम से आजीविका चलाने का अधिकार है। 3. एक मजदूर, किसान एवं कारीगर के जीवन जीने योग्य हैं। 27 यह 'सर्वोदय' का संबोध कालांतर में गांधी के लिए रामराज्य कल्पना का आधार बना। समाज में अहिंसा की विकसित भमिका पर गांधी सर्वोदय समाज की रचना करना चाहते थे। ऐसा समाज जिसमें न शोषण हो, न शासन हो। सत्य और अहिंसा की धूरी पर निर्मित वह समाज अपने आपमें आदर्श होगा जिसमें शरीर श्रम अनिवार्य होगा। ऐसा समाज जिसमें जात-पाँत, धर्म का भेदभाव न होगा, शोषण की गुंजाइश न होगी और व्यक्ति तथा समाज दोनों को अपने विकास का पूरा अवसर मिलेगा। इस उद्देश्य की सिद्धि में निम्न साधनों का अवलम्बन इष्ट रहा • सामाजिक एकता (भिन्न-भिन्न धर्मों के मानने वालों में तथा जातियों में मित्रता)। • अस्पृश्यता को दूर करना। • जात-पात को समाप्त करना। • नशाबन्दी। • खादी और ग्रामोद्योग को विकसित करना। • गाँवों की सफाई। • नयी तालीम। • पुरुषों और स्त्रियों में अधिकार और प्रतिष्ठा की समानता। • आरोग्य और स्वच्छता। • भारतीय भाषाओं का विकास। • संकीर्ण प्रान्तीय भाव को मिटाना। • हिन्दी भाषा का राष्ट्र भाषा के रूप में प्रचार। • आर्थिक समानता। • खेती की उन्नति। • मजदूरों का संगठन। • आदिवासी कल्याण • विद्यार्थी-संगठन। • कुष्ठ-रोगियों की सेवा। • अनाथ दरिद्रों की सेवा। • गो सेवा। • प्राकृतिक चिकित्सा।28 इन निर्दिष्टित बिन्दुओं के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि गांधी ने कितने उन्नत सर्वोदय समाज संरचना का सपना संजोया था। समय-समय पर इन तथ्यों की विस्तार से मीमांसा करने में अपनी पूरी शक्ति लगाई। यद्यपि लोग 'सर्वोदय-समाज' परिकल्पना को 'यूटोपिया' की संज्ञा देते थे। पर जिस दिन समाज की व्यवस्था इस दर्शन की अनुरूप घटित होगी वह समय बड़ी उपलब्धि का होगा। इसके पीछे गांधी की जो मनसा थी उसमें समग्र समाज को अहिंसा-प्रेम-सत्य और भाईचारे के मूल्यों से अभिस्नात कर दुनिया के समक्ष भारत-भू का एक नया अहिंसक आदर्श प्रस्तुत करना था। अन्त्योदय सर्वोदय समाज का आधार ‘अन्त्योदय' की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। गांधी ने सभी के उदय यानि विकास का जो आदर्श प्रस्तुत किया उसकी मूलभूत इकाई ‘अन्त्योदय' ही है। सामाजिक न्याय का यह तकाजा है कि जो गरीब या कमजोर है उसको पहले ऊपर उठाना चाहिए। इसीलिए गांधी ने अन्त्योदय की बात कही थी। विकास की पद्धति ऐसी होनी चाहिये कि उसका लाभ सबसे कमजोर को सबसे पहले मिले।।29 उनकी यह सोच समाज के प्रत्येक व्यक्ति के उत्थान का आधार बन सकती है। 240 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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