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सव्वेसु भूतेसु निधाय दण्डं, ये घावरा ये च तसंति लोके ।। 99. धम्मपद- दण्डबर्ग, 1- सव्वे तसंति दंडस्स सब्वे भावन्ति मुच्चुनो। अत्तानं उपयं कत्वा न हनेय्य न घातये ।।'
94. मुनि श्री नगराज जी डी. लिट्, आगम और त्रिपिटक एक अनुशीलन. 528
95. अहिंसा और अणुव्रत सिद्धांत और प्रयोग, 11
96. अनु. रामाप्रसाद, एम. ए. पातंजल योगसूत्र भाष्य. 2-90 तत्र अहिंसा सर्वदा सर्वभूतेषु अनभिद्रोह: ।'
97. महर्षि श्री हरिभद्र आचार्य, योगदृष्टि समुच्चय- 107
98. अभिधान राजेन्द्र कोश. 1.879
99. अहिंसा तत्त्व दर्शन, 199
100. मुनि श्री नगराज जी, डी. लिट्, अहिंसा विवेक. 214-15
101. युवाचार्य महाप्रज्ञ, भिक्षु विचार दर्शन, 87 (1979)
102. भिक्षु विचार दर्शन, 112-113 (1979)
103 उत्तरज्झयणाणि 18.35- 'सगरो वि सागरंतं भरहवासं नराहियो । इस्सरियं केवलं हिच्चा, दयाए परिनिव्वुडे । '
104. अहिंसा विवेक, 141. अनुकम्पा की ढाल. 1.8
105-106. अहिंसा तत्त्वदर्शन, 19-21
107. आचार्य महाप्रज्ञ, अहिंसा और शांति, 63
108. अहिंसा, 57
109. अहिंसा के अछूते पहलु, 2-8
110. आचार्य महाप्रज्ञ, तेरापंथ शासन अनुशासन 109
111. अहिंसा विवेक, 11 छान्दोग्य उपनिषद् 3.17.4- अतः यत् तपोदानमार्जव महिंसा सत्यवचन मिति ता अस्य दक्षिणा ।'
112. उत्तरज्झयणाणि 12.40,44- कहं चरे? भिक्खु वयं जयामो? पावाइ कम्माइ पणोल्लयामो? अक्खाहि णे संजय! जक्खपूइया! कह सुजट्ठे कुसला वयंति । ।' 'तवो जोड़ जीवो जोइठाणं, जोगा सुया शरीरं कारिसंग ।
113. आचार्य महाप्रज्ञ, मुक्तभोग की समस्या और ब्रह्मचर्य, 38 114. आचार्य महाप्रज्ञ, अस्तित्व और अहिंसा, 63
115. अहिंसा के अछूते पहलु, 129
116. अहिंसा के अछूते पहलु 43-44. आचार्य महाप्रज्ञ, 117. रामचरित मानस, षष्ठ सोपान लङ्काकांड. 79.2
स्वास्थ्य की त्रिवेणी, 91
'नाथ न रथ नहिं तन पद त्राना । केहि बिधि जितब बीर बलवाना।'
118. रामचरित मानस, षष्ठ सोपान, लइकाकाण्ड 79.9.4.5.6.80
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'सोरज धीरज तेहिरथ चाका सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका। बल बिबेक दम परहित धोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे ।।' 'ईस भजनु सारथी सुजाना बिरति चर्म संतोष कृपाना । दान परसु बुद्धिधि सक्ति प्रचंड बार बिग्यान कठिन को दंड ।।' 'अमल अचल मन गोण समाना। सम जम नियम सिलीमुख नाना । कवच अभेद विप्र गुर पूजा । एहि समं बिजय उपाय न दूजा ।।' 'सखा धर्ममय असरथ जाकें । जीतन कहं न कतहुरिपु ताकें ।' 'महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर । जाकें असरथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर । ।' 119. आचार्य महाप्रज्ञ, महावीर का पुनर्जन्म, 98
आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा में योगदान / 121