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________________ ता 120. उत्तरज्झयणाणि 9.35 'अप्पाणमेव जुज्झाहिं, किं ते जुज्झेण बज्झओ। अप्पाणमेव अप्पाणं, जइत्ता सुहमेहए।।' 121. आचार्य महाप्रज्ञ, मुक्त भोग की समस्या और ब्रह्मचर्य, 66 122. मुनिलाल, अध्यात्म रामायण. अयोध्याकाण्ड 'गङ्गां नोचेत्समाकृत्य नावतिष्ठन्तु सायुधाः। ज्ञातयो मे समायत्ताः पश्यन्तः सर्वतोदिशम्।।' 123. अध्यात्म रामायण, युद्धकाण्ड. 11.26 124. अध्यात्म रामायण, 11.29.32. 'रावणस्य धनुर्मुक्ताः सर्पा भूत्वा महाविषाः । शराः काञ्चन पुङ्खभा राघवं परितोऽपतन्।। तैः शरैः सर्पवदनैर्वमद्भिरनलं मुखैः । दिशश्च विदिशश्चैव व्याप्तास्त्र तदाभवन् ।। रामः सस्तितो दृष्ट्वा समन्तात्परिपूरितान्। सौपर्णमस्त्रं तद्घोरं पुरः प्रावर्तय द्रणे।। 125. नियुक्ति पंचक, 91 दशवे. नि. गाथा-214 'किंची सकायसत्थं, किची परकाय-तदुभयं किंचि। एतं तु दव्वसत्थं, भावे य असंजयो सत्यं ।।' 126. आचार्य महाप्रज्ञ, अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक, 143. 127. मुनि नथमल, जैन दर्शन के मौलिक तत्त्व, 2.358 128. आचार्य महाप्रज्ञ, नया मानव : नया विश्व, 46 129. हिन्दी नवजीवन, 7.5.31 130. हरिजन सेवक, 26.11.38 131. हरिजन सेवक, 7.7.46, 'अहिंसा चतुर्थ भाग, 103 132. श्री मन्नारायण, ऋषि विनोबा, 369 133. अहिंसा के अछूते पहलु, 47 134. मुनि सुखलाल, विज्ञान के संदर्भ में जैन धर्म: 10 135. अध्यात्म का प्रथम सोपान : सामायिक, 146 136. आचार्य महाप्रज्ञ, जैन योग, 82 137. विज्ञान के संदर्भ में जैन धर्म, 14. आचारांग 1-27.34 138. अहिंसा और शांति, 19 139. गांधीजी, अहिंसा प्रथम भाग. 20. हिन्दी नवजीवन-19-3-1925 140. आचार्य महाप्रज्ञ, लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 116 141. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 79 142. पुरुषोत्तम महावीर, 98 143. यू.आर.राव, ऐसे थे बापू, 45 144. पुरुषोत्तम महावीर, 98-99 145. जैन योग, 82 146. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 115 147-148. रामधारी सिंह दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय. 537, 538, हरिजन. 21 जुलाई 1946 149. लुईफिशरकृत 'ए वीक विद गांधी, संस्कृति के चार अध्याय 537-38 150. मुनि नथमल, जैन दर्शन : मनन और मीमांसा, 328-29 151. महाप्रज्ञ : जीवन-दर्शन, 55 152. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज, 106-11 153. डॉ. रामचन्द्र द्विवेदी, डॉ. प्रेमसुमन जैन, जैन विद्या का सांस्कृतिक अवदान. 21 122 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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