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श्रमण-संस्कृति ___ 2. बौद्ध धर्म ने सदाचार पवित्र जीवन, नैतिकता, मन वचन कर्म की
शुद्धि, जन-सेवा और स्वार्थ त्याग के उच्च आदर्शों पर अधिक
बल दिया। 3. हिन्दू धर्म पर प्रभाव का सबल प्रमाण है। 4. संघ-व्यवस्था, दर्शन की नवीन विचारधाराओं में स्वतंत्रता।
मूर्ति-पूजा का प्रसार-भारत में मूर्तिपूजा का व्यापक प्रसार बौद्ध धर्म ने किया। लोक साहित्य का विकास तथा बौद्ध साहित्य की ऐतिहासिक देन। राजनीतिक तथा राष्ट्रीय एकता, बौद्धिक स्वतंत्रता, समानता तथा
सहनशीलता की देन। 8. भारतीय कला जीवन में बौद्ध धर्म की सर्वोत्कृष्ट देन वास्तुकला
तथा स्थापत्यकला के क्षेत्र में है। 9. भारतीय संस्कृति का प्रसार तथा भारतीय इतिहास पर प्रभाव बौद्ध
धर्म महत्व पूर्ण स्थान रखता है। बौद्ध तथा जैन साहित्य में इस युग में विभिन्न सिद्धान्तों के उपदेश देने वाले अनेक सम्प्रदायों का ज्ञान होता है। आर्यों के पूर्व युग में मोहनजोदड़ो में शिव की एक प्रतिमूर्ति के पूजन में ही शैव सम्प्रदाय की उत्पत्ति निहित थी। कालान्तर में आर्यों के पूर्व के इस देवता का साम्य वैदिक युग के रुद्र नामक देवता से कर दिया गया और इसे हिन्दू धर्म के देवताओं में उच्च स्थान प्राप्त हुआ। बहुत पहले से ही लिंग के रूप में शिव की पूजा होती थी जो आज भी हमारे देश अत्यधिक रूप में प्रचलित है।
ईसा से पूर्व सातवीं शताब्दी के अन्त तक हिन्दू समाज दृढ़ रूप से स्थायी हो चुका था। भारत में छठी शताब्दी पूर्व में धार्मिक सुधारवादी आन्दोलन हुए थे। इन आन्दोलनों में जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म काल की परीक्षा में सफल हुए और आज भी जीवित हैं। ये आध्यात्मिक सत्य और प्रेम के सन्देश को दरिद्रों की झोपड़ियों से लेकर नरेशों के राजमहलों तक ले गये और भारतीय इतिहास पर अपने प्रभाव की अमिट छाप छोड़ गये।