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मगध-वैशाली युद्ध का कारण जैन एवं बौद्ध धर्म का... गणराज्यों का संगठन होने के कारण अत्यन्त शक्तिशाली था। यह संयोग ही था कि जिस समय अजातशत्रु वैशाली पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था। उस समय महात्मा बुद्ध राजगृह की एक पहाड़ी पर रुके हुए थे। अपने महामन्त्री वस्सकार को अजातशत्रु ने महात्माबुद्ध के पास इस संदेश के साथ भेजा कि उसने वज्जियों का उन्मूलन करने के लिए दृढ़ निश्चय किया है। महात्मा बुद्ध ने यह संदेश सुनकर कहा कि 'जब तक वज्जिसंघ एक है उसे पराजित नहीं किया जा सकता। उनकी एकता खण्डित कर ही उन्हें जीता जा सकता है। महात्मा बुद्ध के इस कथन के मूल में भी जैन धर्म से उनकी प्रतिस्पर्धा की भावना छिपी हुई है। इस (उपदेश) कथन से शिक्षा ग्रहण कर वस्सकार ने वज्जिसंघ में मतभेद उत्पन्न करा दिया परिणामस्वरूप अजातशत्रु द्वारा वैशाली पर आक्रमण किये जाने पर एकजुट होकर वज्जिसंघ नहीं युद्ध कर सका और विघटित वज्जिसंघ पराजित हो गया। निश्चय ही यह संघर्ष जैन एवं बौद्ध धर्म के अन्त:संघर्ष के कारण हुआ था।
संदर्भ 1. हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता- बेनी प्रसाद पृ० 191 2. द्रष्टव्य- प्राचीन भारत का राजनैतिक इतिहास, डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी, पृ० 184 3. बुद्धघोष की टीका सुमंगल विलासिनी के अनुसार लिच्छवियों द्वारा विश्वासघात
मगध एवं वैशाली के बीच युद्ध का कारण था। विशेष द्रष्टव्य, बुद्धिस्ट स्टडीजबी०सी० लाल, पृ० 199