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श्रमण-संस्कृति
11. वर्मा, कृष्णलाल, सूरिश्वर व सम्राट, पृ० 128
12. उक्त संग्रहालय भारत का सर्वश्रेष्ठ जैन म्यूजियम है जिसमें पाषाण से लेकर हाथी, दांत, जहरमोरा, पन्ना, मूंगा, पारा, माणिक, अकीक, गार्नेट, लैफिस, गोल्ड, सिल्वर व पीतल आदि से निर्मित तीर्थंकरों व यक्ष-यक्षिणियों के दुर्लभ कलाकृतियों, मुगल शासकों द्वारा जारी विभिन्न प्रकार से फरमान तथा कपड़े पर सोने, चांदी, हीरा, मोती, मूंगा व अन्य रत्नों से जड़े कार्य का प्रदर्शन बड़ी सूक्ष्मता से किया गया है। इसके अतिरिक्त 5,00,00 'अधिक प्राचीन व दुर्लभ जैन हस्तलिखित (आगम, न्याय दर्शन, योग, व्याकरण, एवं प्राचीन इतिहास व पुरातत्व) आदि विषय पर आधारित हैं। व 4, ,000 से अधिक प्राचीन ताडपत्रीय ग्रन्थ भी विशिष्ट रूप से संग्रहीत हैं जिसमें स्वर्णाक्षरी व रजत से आलेखित हजारों ग्रन्थ दूरस्थ क्षेत्रों यथा राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से पधारे शोध छात्र - छात्रों व जनमानस के लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं ।
13. फरमान उक्त संग्रहालय में सुरक्षित हैं जो सम्राट अकबर व अन्य बादशाहों द्वारा उनके शासन काल में जारी किया गया, जिसकी कुल संख्या 6 है। जो दर्शनार्थियों व इतिहासकारों को वरवश अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं ।