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श्रमण-संस्कृति जिससे स्वार्थपरक राष्ट्रों और आतंकवादियों को शान्ति, अहिंसा और विश्व बन्धुत्व के मार्ग पर लाया जा सके।
संदर्भ 1. डॉ० रामवृक्ष वेनीपुरी, 'तथागत' (दो शब्द)। 2. आचार्य बलदेव उपाध्याय, 'बौद्ध दर्शन मीमांसा'। 3. डॉ० राधाकृष्णन, गौतमबुद्ध, जीवन रूप दर्शन। 4. बार्थ, द रीलिजन ऑफ इण्डिया।