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श्रमण-संस्कृति यदि हम जैन एवं बौद्ध परम्परा के अहिंसा के सिद्धान्तों का अनुसरण करें तो निःसंदेह शान्ति एवं सद्भाव स्थापित हो सकता है। इसके अलावा यह बात सामने आयी है कि मांसाहार से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। अतः शाकाहार को अपनाकर कुछ हद तक इस विश्वव्यापी समस्या पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
संदर्भ 1. गोपीनाथ कविराज, भारतीय संस्कृति एवं साधना। 2. चन्द्रधर शर्मा, भारतीय दर्शन। 3. नलिनाक्ष दत्त, स्प्रेड ऑफ बुद्धिज्म। 4. जे० एल० जैनी, जैनिज्म। 5. ए० पी० करमाकर, रिलिजन ऑफ इण्डिया। 6. शिव स्वरूप सहाय, प्राचीन भारतीय धर्म एवं दर्शन।