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कलचुरि काल में बौद्ध धर्म
आशीष कुमार सिंह
महान व्यक्तित्वों और विचारधाराओं का एक गुण यह भी होता है कि वह न केवल अपने क्षेत्र अपितु समाज के अन्य क्षेत्रों पर भी अपना प्रभाव छोड़ते हैं। भगवान बुद्ध उन्हीं व्यक्तित्वों का एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है, जिन्होंने न केवल समकालीन परिवेश को प्रभावित किया बल्कि भविष्य हेतु भी अमिट छाप छोड़ी। भगवान बुद्ध ने जिस महान धर्म व चिंतन की नींव डाली, उससे विश्व आज तक लाभान्वित हो रहा है। जनता के बीच अधिकाधिक लोकप्रिय होने के कारण व्यापक स्तर पर बौद्ध धर्म के संदर्भ में अनेक राजवंशों व शासकों ने अपनी दरबारी नीतियों को बदला। बौद्ध धर्म को उसके अभ्युदय के बाद से प्रत्येक राजवंशों ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपनाया व उसका प्रचार-प्रसार किया। इन्हीं राजवंश में से एक कलचुरी राजवंश था।
कलचुरियों के शासन काल में ब्राह्मण धर्म मुख्य रूप से प्रचलित था, परन्तु कलचुरि शासक असहिष्णु नहीं थे। अतः उनके राज्य में अन्य धर्म भी फले-फूले, जिसमें बौद्ध धर्म भी एक था। यद्यपि कलचुरि काल के प्रारम्भिक शिलालेखों में बौद्ध धर्म की चर्चा तो नहीं है, किन्तु बाद के अभिलेखों में बौद्ध धर्म के उल्लेख प्राप्त होते हैं। इन उल्लेखों से इस बात की पुष्टि होती है कि कलचुरि साम्राज्य में वैष्णव, शैव और जैन धर्म के साथ-साथ प्रजा में बौद्ध धर्म के भी अनुयायी थे, जिनकी आस्था बौद्ध धर्म की महायान शाखा में थी। इस पंथ से सम्बन्धित मूर्तियां कलचुरि कालीन क्षेत्रों में आज भी प्राप्त होती