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बुद्धकाल में भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक व्यवस्था
पर्यटकों के अनुसार इनका राज्य शाक्यों के राज्य से पूर्व की ओर पर्वतों की ढलान पर स्थित था। उत्तर में यह वज्जियों के विस्तृत राज्य को स्पर्श करता था। किन्तु कतिपय विद्वानों ने इसे शाक्य राज्य के दक्षिण
और वज्जियों के पूर्व में स्थित बतलाया है। 7. चेती : प्राचीन आलेखों में यह राज्य संभवतः चेदी कहलाता था। इस
राज्य के दो अधिवासन थे। एक प्राचीन, जो पर्वतीय क्षेत्र में - नेपाल में अवस्थित था और दूसरा कौशाम्बी के पूर्व में, जिसे कभी-कभी भ्रम से वत्स राज्य भी समझा जाता था। वत्स : इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। यह राज्य ठीक अवन्ती के उत्तर
में और यमुना के किनारे स्थित था। 9. कुरु : इस राज्य की राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी। इसके पूर्व में पांचाल तथा
दक्षिण में मत्स्य राजवंश थे। कुरु राज्य का विस्तार 2 हजार मील तक फैला था। राजनीतिक दृष्टि से बुद्ध के समय इस राज्य का महत्व अधिक नहीं था। इस राज्य में रथपाल नामक एक सम्पन्न अभिजात्य
रहता था जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। 10. पांचाल राज्य : कुरु प्रदेश के पूर्व में यह राज्य गांगेय क्षेत्र तथा उत्तरी
पर्वतीय श्रेणी के मध्य में स्थित था। इस राज्य की राजधानी कम्पिला
और कन्नौज थी। 11. मत्स्य राज्य : कुरु के दक्षिण और यमुना क्षेत्र के मध्य में स्थित इस
छोटे राज्य को दक्षिणी पांचाल की सीमा पृथक करती थी। 12. सूरसेन : इस राज्य की राजधानी मथुरा थी। यह राज्य यमुना क्षेत्र के
पश्चिम और मत्स्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित था। 13. अस्सक (अश्यक): बुद्ध के समय इस राज्य की आबादी गोदावरी
के तटवर्ती क्षेत्र में बसी हुई थी। इसकी राजधानी पाटन थी। इस राज्य का अवन्ती के साथ वैसा ही सम्बन्ध था जैसा अंग देश का मगध के साथ था।