________________
296
3.
श्रमण-संस्कृति में गंगा नदी, पूर्व में चम्पा नदी, दक्षिण में विंध्याचल पर्वत तथा पश्चिम में सोन नदी तक इसकी सीमाओं का विस्तार था। इस काल खंड में (अंश समेत) इसका विस्तार 2300 मील तक था और इसके अन्तर्गत 80000 ग्राम आते थे। काशी: यह राज्य आज के बनारस के आसपास का भाग था। बुद्धकाल में राजनीतिक दृष्टि से यह काफी कमजोर हो गया था। इस नगर से प्राप्त होने वाले करों आदि के लिए कौशल तथा मगध राज्यों में परस्पर नोंक-झोंक होती रहती थी। वैसे ऐतिहासिक दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण राज्य था। जातकों में इसका उल्लेख बार-बार आता है। इनमें कहा गया है कि इस राज्य का विस्तार 2000 मील तक फैला था। कौशल : इस राज्य के अन्तर्गत बनारस और साकेत के अतिरिक्त शाक्यों का राज्य भी आता है। इसकी राजधानी श्रावस्ती थी जिसका क्षेत्र अब नेपाल के अन्तर्गत आता है। संभवतः दक्षिण की ओर इसका विस्तार गंगा तक था और पूर्व में गंडक (नदी) तक। उत्तर में इसकी सीमा उत्तरी पर्वत-श्रेणियों तक फैली हुई थी। मगध के साथ कौशल के लगातार युद्ध होते रहते थे। उस समय दोनों राज्य अत्यंत शक्तिशाली माने जाते थे। इन दोनों पर्वतीय राज्यों ने सभी पर्वतीय तथा गांगेय क्षेत्र के आदिवासियों को अपने अधिकार में कर लिया था। हाँ, स्वतंत्र कबीलों के कारण पूर्व में कोशल का विस्तार नहीं हो पाया। वज्जी : इस राज्य के अन्तर्गत आठ कबीलों का समावेश था। इनमें लिच्छिवी और विदेह कबीले प्रमुख थे। पूर्व शताब्दियों में विदेह में एकतंत्र शासन था लेकिन बुद्धकाल में यहाँ गणतन्त्रीय व्यवस्था प्रचलित थी। वज्जियों का राज्य करीब 2300 मील तक फैला था। इस राज्य की राजधानी मिथिला थी जो लिच्छिवियों की राजधानी वैशाली से उत्तर - पश्चिम की ओर करीब 35 मील तक स्थित थी। बौद्ध-धर्म के अभ्युदय के कुछ समय पूर्व यहाँ कुछ समय तक विख्यात राजा जनक का शासन
था।
6.
मल्ल : कुशीनारा और पावा के मल्ल भी स्वतंत्र कबीले थे। चीनी