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श्रमण-संस्कृति पार्टी की स्थापना 1934 में किया जो श्री नारायण का इस दिशा में विशिष्ट योगदान है।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी बामपंथी वुर्जवा वर्ग का पार्टी थी, उसके संरयापकों में जय प्रकाश नारायण, नरेन्द्र देव तथा अशेक मेहता प्रमुख थे। यद्यपि इस अवधि तक देश के कई भागों में समाजवदी संगठन आकार लेने लगा था, परन्तु इसका देशव्यापी संगठन बनाने का प्रयास जय प्रकाश नारायण ने ही किया था। जय प्रकाश नारायण का उद्देश्य उत्पादक समूह को समस्त अधिकार का हस्तन्तरण करना तथा देश के आर्थिक सामाजिक जीवन का विकास कराना था। वे चाहते थे कि प्रमुख उद्योगों जैसे लौह, बस्त्र, जूट, रेल, खान, बैक, आदि का सामाजीकरण हो, तथा उत्पादन विनियम एवं वितरण हेतु सहकारी समितियों का संगठन और उनको प्रोत्साहन मिले। विदेशी व्यापार पर राज्य का एकाधिकार हो, राजाओं और जमींदारों का अन्त, किसानों की भूमि का पुनविभाजन, वयस्क मताधिकारी का व्यावसायिक आधार पर प्रयोग, राष्ट्रीय आय की आवश्यकता के अनुसार वितरण, राज्य द्वारा सहयोग मूलक
और सहकारी खेती के लिए प्रोत्साहन आदि उनका उद्देश्य था। जय प्रकाश नारायण कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी के सर्वदा प्रमुख स्तंभ बने रहे।
जय प्रकाश ने कांग्रेस सोशलिस्ट साप्ताहि पत्रिका भी प्रकाशन और संचालन किया इसके अलावा जे०पी० ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति शास्त्र के स्तर की लगभग 500 पुस्तकों की तालिका बनायी इन पुस्तकों में मुख्यतः मार्क्सवाद मजदूर संगठन क्रांतिदर्शन, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र की महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का अध्ययन करने का आग्रह किया इस सन्दर्भ में सुभाष चन्द्र बोष को पत्र लिखे जिसमें उन्होंने सोशलिस्ट बुक क्लब की चर्चा की और सुभाषचन्द्र बोस से इसके संस्थापक और सलाहकार समिति के सदस्य बनने की राय जानने का प्रयास किया।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी का प्रथम अधिवेशन पटना में आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में सत्तरह मई 1934 को हुआ। इस अधिवेशन के प्रतिनिधियों ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अखिलभारतीय