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________________ 155 भारतीय समाजवाद के प्रतिष्ठाता जयप्रकाश नारायण कांग्रेस के कार्यक्रम तथा संविधान का मसविदा तैयार करने हेतु एक समिति गठित की गयी और जय प्रकाश नारायण इसके महासचिव बने।" जय प्रकाश नारायण पूरे उत्साह के साथ एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त का दौरा करते हुए कांग्रेस समाजवादी दल के संगठन के लिए स्तुत्य प्रयास किया। उन्होंने समाज को यह समझाने का प्रयास किया कि मात्र स्वराज से जनता का समस्याओं से अन्त नहीं होगा। जब तक कि आर्थिक संगठनों में मूल भूत परिवर्तन नहीं लाया जाता। जय प्रकाश नारायण का कहना था कि राजनीतिक और आर्थिक संगठन सामाजिक न्याय और आर्थिक स्वतंत्रता के सिद्धान्तों पर करना चाहिए इस संगठन के फलस्वरूप जहाँ समाज के प्रत्येक व्यक्ति की राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति होगी वही इसका उद्देश्य केवल भौतिक आवश्यकताओं की तृप्ति ही न होगी बल्कि यह अपेक्षा रखी जायेगी कि इससे कारण राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ्य जीवन बिता सके और अपना नैतिक तथा बौद्धिक विकास कर सके। बड़े पैमाने पर सामूहिक रूप से चलने वाल सभी उद्योग धन्धों को इस तरह चलाना होगा कि उनका अधिकार और आधिपत्य व्यक्तियों के हाथ से निकलकर समाज के हाथों में आ जाये। श्री नारायण ने गांवों के जीवन को पुनः संगठित तथा स्वतंत्र शासिक इकाई बनाने एवं अधिक से अधिक स्वावलम्बी बनाने का भी प्रयत्न किया, उनका कहना था कि हर काश्तकार के पास उतनी ही जमीन होनी चाहिए जिससे वह अपने परिवार का उचित रीति से भरण पोषण कर सके। जय प्रकाश नारायण भारतीय समाजवादी आन्दोलन के लिए नीव की ईट थे, वे भारत में सामाजिक संरचना की दृष्टि से क्रांतिकारी कार्यक्रमों से विमुख नहीं होना चाहते थे उनका अभिप्राय सत्ता का अधिग्रहण नहीं बल्कि जन आन्दोलन द्वारा समाजवादी भारत का निर्माण करना तथा मानवीय मूल्यों का प्रतिस्थापन करना था। इन्हीं लक्ष्यों से अभिभूत श्री नारायण ने साखोदेवरा गांव में सर्वोदय आश्रम' की स्थापना भी किया था जिसमें स्वतंत्रता समानता और बन्धुता का बढ़ावा मिला। इसके बाद भूमिदान, ग्रामदान, सम्पत्तिदान
SR No.022848
Book TitleAacharya Premsagar Chaturvedi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaykumar Pandey
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2010
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size36 MB
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