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संगीत कला को समृद्ध करने में जैनधर्म का योगदान
अरविन्द कुमार
जैनधर्म से भारतीय संस्कृति गौरवान्वित हुई है । इस धर्म के कारण ही अहिंसा का सिद्धांत भारतीय जीवन का एक सजीव अंग बना । इस धर्म के प्रभाव से भारतीयों को नैतिक एवं सदाचारमय जीवन व्यतीत करने के लिए एक बलवती प्रेरणा मिली। भारतीय संस्कृति के विभिन्न क्षेत्र जैसे धर्म, दर्शन, साहित्य, समाज, नीति, कला आदि पर इस धर्म का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
भारतीय कला को विकसित एवं समृद्ध करने में जैनियों का योगदान महत्वपूर्ण हैं । हस्तलिखित ग्रंथों पर सुनहले तथा अन्य चमकीले रंगों के खींचे गये चित्र चित्रकला के सुन्दर नमूने हैं। उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान आदि में अनेक जैन मंदिर निर्मित हैं। जैसे मंदिर निर्माण कला के साथ मूर्ति निर्माण कला का विकसित रूप दृष्टिगोचर होता है | श्रवणबेलगोल (मैसूर) और बड़वानी (मध्यप्रदेश) में विशाल जैन प्रतिमा मूर्तिकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। उदयागिरी तथा खंडगिरि (उड़ीसा) के प्राचीन जैन गुफा के स्तंभों का ऊपरी भाग विशेष रूप से आकर्षक है। इनमें जैन स्थापत्य कला का सर्वोत्कृष्ट रूप दिखाई पड़ता है।'
जैनियों के प्राचीन ग्रन्थों में संगीत संबंधी प्रचुर विवरण पाया जाता है। जिन जैन ग्रन्थों में संगीत संबंधी प्रचुर विवरण पाया जाता है। जिन जैन ग्रन्थों में संगीत संबंधी सामाग्री उपलब्ध हैं । वे निम्नलिखित हैं- स्थानांग सूत्र