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अर्जित करने के कुछ ही माह बाद सितम्बर 1971 में इलाहाबाद डिग्री कॉलेज इलाहाबाद में प्रवक्ता के रूप में कार्यभार ग्रहण किये, वहाँ एक कुशल शिक्षक के रूप में आपके अल्प कार्यावधि (मात्र छ: माह) की सभी सराहना करते हैं।
प्रो० चतुर्वेदी जी गुरु गोरक्ष की तपोभूमि पूर्वांचल के श्रेष्ठ उच्च शिक्षा केन्द्र गोरखपुर विश्वविद्यालय में 21 अगस्त 1972 को प्रवक्ता के रूप में कार्य - भार ग्रहण किये। यह उर्जयन्त भू-क्षेत्र जो महावीर स्वामी, गौतमबुद्ध, संत प्रवर कबीर, को आकर्षित किये थी ठीक उसी प्रकार आचार्यवर यहीं उपाचार्य, आचार्य एवं वर्तमान में विभागाध्यक्ष रूप में पूर्वायतन की परम्परा के सम्वाहक रूप में मनसा वाचा कर्मणा सन्नद्ध हैं ।
प्रसिद्ध इतिहासज्ञ स्मृति शेष आचार्य विश्वम्भर शरण पाठक के सफल निर्देशन में आपने 'टेक्नालॉजी इन वैदिक लिट्रेचर' विषय पर अपना सफल शोध कार्य पूर्ण किया जो शोध ग्रन्थ पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित होकर आज शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुजनों के स्रोत साधन रूप में सहायक ग्रन्थ है । आपने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्थापित एकेडमिक स्टाफ कालेज के निदेशक रूप में जून 2000 से मई 2005 तक कार्य किया। आप ने एकेडमिक स्टॉफ कालेज में रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से अस्सी से अधिक पुनश्चर्या पाठ्यक्रम एवं अभिविन्यास कार्यक्रमों का सफल संचालन किया साथ ही एकडमिक स्टाफ कालेज के निदेशकों की बैठकों में अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व का परिचय देते हुए नवतम नीतियों को निर्धारित कराने का पूर्ण प्रयास किया ।
आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, के प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग को अपने सरल व्यक्तित्व, कार्य के प्रति समर्पण एवं एक सफल शिक्षक के रूप में जो सफल सेवा प्रदान की है उसे श्रेष्ठ अवदान के रूप में पुराने शिष्य सर्वथा स्मरण करते हैं। आप वेद विद्या के सफल अध्येता, प्राचीन भारतीय तकनीकी अध्ययन के ज्ञाता, कला एवं स्थापत्य के नीति निपुण प्रस्तोता तथा प्राचीन भारतीय राजनैतिक इतिहास के सफल शिक्षक रूप में सर्वथा विद्यार्थियों द्वारा श्रद्धेय गुरु रूप में आदर प्राप्त किये। आचार्यवर चतुर्वेदी जी के सफल