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श्री गुरुवे नमः आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी की
जीवन यात्रा
वैदिक संस्कृति का सम्वाहक गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती (त्रिवेणी) के पावन जल से सिंचित प्रयाग (इलाहाबाद) से उत्तर दिशा में (ग्राम व पोस्ट-वैरंमपुर तहसील-मझनपुर जो वर्तमान में कौशाम्बी जनपद (यह इलाहाबाद जनपद से निकलकर नवसृजित जनपद है) में अवस्थित है, वहाँ के प्रतिष्ठित कुलीन ब्राह्मण परिवार में स्व० श्री धर्मनारायन चौबे के पौत्र रूप में 1 फरवरी 1950 को आपका जन्म हुआ। पिता स्व० श्री विद्या सागर चतुर्वेदी एवं माता स्व० श्रीमती फूलकुमारी के इकलौते पुत्र (तीन बहनों के एकलौते भाई) रूप में आपने बाल क्रीड़ा करते हुए अपना बाल्य जीवन व्यतीत किया। आपका परिवार, ब्रिटिश काल से ही शैक्षिक गतिविधियों का केन्द्र रहा। पितामह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक एवं पिता कौशाम्बी जनपद के मऊ तहसीलान्तर्गत स्थित इण्टर मीडिएट स्कूल में हिन्दी के प्रवक्ता रहे जो अपने श्रेष्ठ व्यक्तित्व, सादगी एवं शालीनता पूर्ण व्यवहार के अभ्यासी रहे।
बाल्यजीवन से ही आप कुशाग्र बुद्धि एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। आपने 1965 एवं 1967 ई० में क्रमशः हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा कौशाम्बी इण्टर कालेज से उत्तीर्ण किया एवं 1969 एवं 1971 में स्नातक तथा स्नातकोत्तर (प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व) परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। सभी परीक्षाओं को प्रथम श्रेणी में सम्मान सहित उत्तीर्ण कर आप अपने कुल को गौरवान्वित किये।
आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी के शिक्षा के प्रति समर्पित व्यक्तित्व का परिणाम था कि देश के प्रतिष्ठित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शैक्षिक गरिमा से सम्पन्न प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग से स्नातकोत्तर उपाधि