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सिंह जी का मैं हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन से लेकर कार्यवृत्त के प्रकाशन तक सर्वथा शुभकामना जन्य सहयोग प्रदान किया।
महाविद्यालय के शुभ-चिन्तकों डॉ. विजय कुमार अग्रवाल, डॉ० धर्मदेव सिंह, श्री ओमप्रकाश सिंह, डॉ० लाल चन्द यादव, डॉ० राजेश चन्द्र मिश्र, डॉ० पूर्णेश नारायण सिंह, डॉ. जयप्रकाश मणि आप सभी की उत्प्रेरणा मेरे सम्बल को बढ़ाने में सहायक रही। आपके समर्पित व्यवहार से जो मुझे सहयोग मिला, उसके लिए मैं आजीवन हृदय से कृतज्ञ रहूँगा। ___मैं अपने अनन्य हृदय, डॉ० प्रताप विजय कुमार, डॉ० अनुभव श्रीवास्तव एवं डॉ० रामप्रताप राज का आभारी हूँ। आप सभी के अहर्निश सहयोग से ही राष्ट्रीय संगोष्ठी की पूर्णता एवं कार्यवृत्त के प्रकाशन का आधार बना। आप सभी को लक्ष्य कोटि कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्वयं को उपकृत मानता हूँ।
मैं कार्यवृत्त के सहसम्पादक बन्धुओं का हृदय से कृतज्ञ हूँ जिनका मनसा-वाचा पदे-पदे सहयोग कार्यवृत्त प्रकाशन क्रम में शोध पत्रों के वाचन, अनुक्रम निर्धारण आदि सभी कार्यों का अपना व्यक्तिगत कार्य मानकर पूर्ण किया। विशेषकर डॉ. विजय कुमार, वरिष्ठ प्रवक्ता, शिक्षक-प्रशिक्षण, विभाग, रतनसेन डिग्री कालेज बांसी को साधुवाद उनका आयाचित सहयोग कार्यवृत्त की पूर्णता में सम्बल बना।
अन्ततः सुहृद, सुधी प्रकाशक डॉ० राधेश्याम शुक्ल, प्रभुत्वाधिकारी, प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली के प्रति मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ जिन्होंने मेरे आग्रह को सहज स्वीकृति प्रदान कर कार्यवृत्त के प्रकाशन के दायित्व का पूर्णरूपेण निर्वहन किया।
___ कार्यवृत्त जो आचार्य प्रेम सागर चतुर्वेदी अभिनन्दन ग्रन्थ अति अल्प अवधि में संयोजित कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। त्रुटियाँ स्वाभाविक है, सुधी पाठक गण से व्यक्तिगत क्षमा प्रार्थी हूँ, कार्यवृत्त सहज स्वीकार करें। फाल्गुन शुक्ल एकादशी
विनयावनत् विक्रम संवत् 2066
अजय कुमार पाण्डेय (25 फरवरी 2010)