________________
18
भारतीय संस्कृति पर बौद्ध व जैन-परम्परा
का प्रभाव
अनुपम कुमार
छठी शताब्दी ईसापूर्व की अवधि विश्व के कई क्षेत्रों में धार्मिक हलचल तथा आंदोलन की अवधि थी। 'चीन में कन्फ्यूशियस, ईरान में जरथुष्ट्र तथा यूनान में पाइथोगोरस अपने उपदेश समाज के बीच दे रहे थे।'
भारत की धरती पर भी छठी शताब्दी ईसापूर्व में दो महापुरुष महावीर स्वामी और महात्मा बुद्ध का उदय हुआ। वैसे तो महावीर व महात्मा बुद्ध धर्म की दो अलग पद्धतियों, जो कि क्रमशः जैन और बौद्ध धर्म के नाम से विश्व में प्रचलित हैं, जो स्थापित किया, परंतु दोनों ही धर्म भारतीय संस्कृति के जड़ से जुड़े होने के कारण उस समय में भारतीय संस्कृति में होते हुए क्षरण को निष्प्रभावी कर इसमें जीवंतता प्रदान कर इसे पुनः विश्वव्यापकता प्रदान करने का सफल प्रयास किया।
भारतीय संस्कृति अति प्राचीन काल से धर्म-आधारित संस्कृति रही है। छठी शताब्दी में सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों ने वैदिक धर्म की कई प्रचलित मान्यताओं को जीर्ण बना दिया था जिससे उसमें परिवर्तन आवश्यक प्रतीत हो रहा था। इसी आवश्यकता ने दरअसल बौद्ध व जैन धर्म के प्रस्फुटन का वास्तविक आधार बनाया।
बौद्ध व जैन धर्म का उदय व विकास छठी शताब्दी ईसापूर्व में भारत में गंगा का दोआब क्षेत्र, जो मुख्य रूप से बिहार व उत्तर प्रदेश का क्षेत्र है, में हुआ। यह वह क्षेत्र है जहाँ उस समय सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्र