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114* जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
ख.7 श्री. 2 103. वही, सामवेद उत्तरार्चिक 13/2/1,13/5/1,14/1/3,21/1/1 104. वही, सामवेद उत्तरार्चिक 12/2/2 105. वही सामवेद पूर्वार्चिक 1/10/4 106. वही, सामवेद उत्तरार्चिक 5/5/2 107. वही, सामवेद पूर्वार्चिक 3/11/1 108. वही, सामवेद उत्तरार्चिक 1/2/2,5/3/2,6/2/3, 20/5/2, 17/3/3 109. वही, सा.उ.,7/3/1 110. वही, यजुर्वेद अ. 19/91, 20/18, 20/40, 20/46,21/22, 21/40-42, 47, 59, 60,
24/7,13,30, 28/4,33/21 111. वही, यजुर्वेद 17/91 112. वही, 20/85 113. वही, 22/11 114. वही, 22/12 115. वही, 36/17 116. वही, 15/18 117. वही, 19/50 118. वही, 25/19 119. वही, 19/14 120. ऋग्वेद, मण्डल/अध्याय/सूत्र/मंत्र अर्थात् 1/24/190/1, 2/4/33/15, 3/3/46/1-2,
3/3/47/1-2,3/3/30/9,3/3/38/5,3/3/48/1,3/4/52/8,3/4/59/3, 3/5/62/6, 4/1/1/16-18, 4/1/5/3, 4/2/16/20, 5/2/28/4, 6/1/1/8, 6/2/19/11, 6/1/87/8, 6/2/16/41 व 47. 6/2/18-19/1 व 9, 6/4/44/11 व 21, 6/2/22/1, 6/2/28/8 व 25, 6/4/49/6, 7/2/19/1, 8/1/1/2, 8/3/19/31-37, 8/3/20/10, 8/4/21/4 , 8/7/60/13 - 14, 8/7/6 1/2 ,
10/12/26/1-2 121. ऋग्वेद, 2/34/2 122. कर्क देव वृषभो युक्त आसीद् अवावचीत् सारथीरस्य केशी।
दुधर्युक्तस्य द्रवतः सहानस, ऋच्छन्ति मानिष्पदो मुद्गलानीम् ॥ -ऋग्वेद, 10/102/6 . 123. ऋग्वेद, 36/7/3/22 124. वही, 8/3/13/28, 29 125. वही, 8/2/13/32,8/3/13/28, 29 126. वही, 10/9/100/2 127. ऋग्वेद, 10/12/178/1 128. वही, 10/12/180/1 129. ऋग्वेद, 10