________________
जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता * 113
73. छान्दोग्य उपनिषद्- 3/17 74. ऋषभादीनां महायोगिनामाचारे दृष्टाव अर्हतादयो मोहिताः। - महाभारत, शान्तिपर्व, मोक्ष
धर्म, अ. 263. शोक 20 75. नाहं रामो न मे वाञ्छा, भावेषु न च मे मनः ।
शान्तिमास्थातुमिच्छामि, स्वात्मन्येव जिनो यथा॥-योगवासिष्ठ, अ. 15, शोक 8 76. रामायण-वाल्मिकी,1/14/12 77. वहीं, 3/3/26 78. वही, 4/18/33 79. वृहदारण्यक उपनिषद्,4/3/22
रामायण - वाल्मिकी, 2/50/10 81. वही, 5/12/15 82. वही, 5/15/16 83. मनुस्मृति, प्र. बाबू बैजनाथ प्रसाद बुकसैलर - अ. 2, शोक 39, 40, अ. 11, थोक 197,
राजादरवाजा, बनारस सीटी। 84. मनुस्मृति, अ. 6, थोक 41 85. वही,अ. 6, शोक 42 86. वही, अ० 6, शोक 93 87. वही, अ० 6 ओक 44-45 88. वहीं, अ.6, शोक 46-47 89. वही, अ6, शोक 48-60 . 90. वही, अ० 6, भोक 74 91. वही, अ. 10, शोक 43-45 92. आंङ्गिरसानामाद्यैः पंचानुवाकैः स्वाहा। - यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, म. दयानन्द
सरस्वती - का. 1, अनु. 3, सूक्त 22, सूत्र 2 93. यजुर्वेद - दयानन्द सरस्वती, का. 12, अनु. 3, सू. 3, शोक 45 94. वही, का० 4, अनु. 8, सू. 38, सूत्र 5 95. वही, का. 9, अनु. 2, सू०4, सूत्र 1-11 व 14-23 96. वहीं, का.9, अनु. 2, सू. 4,सूत्र 12 97. वही, का. 4,अनु. 8,सू. 39,सूत्र 7 98. वही, का. 11,अनु. 1,सू. 2, सूत्र 31 99. वही, का. 6, अनु. 11, सू. 110, सूत्र 3 100. वही, का. 15, अनु. 1, सू. 1, सूत्र 1 101. वही, अथर्ववेद, का.5, अनु. 4, सू. 19, सूत्र 7 102. वही, सामवेद-पूर्वाचिक अ. 1 द. 7 श्रो.9; अ. 2 द. 1 श्री. 5; द. 3 शूो. 8; अ० 2 द.5
श्रो.7; अ. 2 द. 10 श्री. 2; अ. 3 द. 10 श्री. 5; द. 11 श्री० 4; सामवेद - उत्तरार्चिक - अ. 1,ख. 5, श्रो. 2; अ. 2 ख. 2 श्री. 1; अ० 6 ख. 1 श्री. 2; अ.9