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आचार्य गोविन्दचन्द्र पाण्डे का सौन्दर्य विमर्श / 27
संदर्भ 'गोविन्द चन्द्र पाण्डे (1995), सौन्दर्य दर्शन विमर्श, इलाहाबाद, राका प्रकाशन, अनुवादक-जगन्नाथ पाठक। १ गोविन्द चन्द्र पाण्डे (1973), मूल्य मीमांसा, जयपुर, राजस्थान ग्रन्थ अकादमी, जयपुर।
' दयाकृष्ण (2011), "रसः दि बेन ऑफ इन्डियन एस्थैटिक्स", कॉन्ट्रेरी थिंकिंग, सं. नलिनी भूषण, जे.एल. गारफील्ड, डैनियल रावेह, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, पृ. 89-102|
* भरतमुनि, नाट्यशास्त्र, सं. पडित केदारनाथ, भारतीय विद्याभवन, प्रकाशन, पुनर्मुद्रित संस्करण, 1983 ' आनन्द कुमारस्वामी (1934), ट्रान्सफोरमेशन ऑफ नेचर इन आर्ट, कैम्ब्रिज, मास। 6 निर्मला जैन (1999), रससिद्धान्त और सौन्दर्यशास्त्र, दिल्ली वाणी प्रकाशन। 'पाण्डे, सौन्दर्यदर्शनविमर्श, सौन्दर्यदर्शनकारिका, 11 • पूर्ववत्, कारिका 3, आचार्य पाण्डे ने बाउमगार्टन का संस्कृत अनुवाद वृक्षोद्यानोभिधानाचार्या किया है। ° पूर्ववत्, कारिका 4-7 १० पूर्ववत्, कारिका 8-21, पृष्ठ 8-17| " पूर्ववत्, पृष्ठ 8। 12 नोली, आर. (1956), दि एस्थेटिक एक्सपीरियन्स एकार्डिग टू अभिनवगुप्त, भूमिका। 13 पाण्डे, मूल्यमीमांसा, पृ. 199-203
"वर्नन ली के एम्पैथी, थियोडोर लिप्स के 'आईन फ्यूलुंग', तथा एडवर्ड बुलो के 'मानसिक अन्तराल' के सिद्धान्त द्वारा सौन्दर्यानुभूति की व्याख्या की गयी है। दृष्टव्य, निर्मला जैन, पूर्ववत्, पृष्ठ 182-83
" पाण्डे गोविन्द चन्द्र, पूर्ववत्, कारिका, 4-5, पृष्ठ 8 १६ कुमारस्वामी द्वारा किये गये शुक्रनीतिसार के अंग्रेजी अनुवाद से उद्धृत, दृष्टव्य, ट्रान्सफोरमेशन ऑफ नेचर इन आर्ट, कैम्ब्रिज, 19341 " पाण्डे, गोविन्द चन्द्र, सौन्दर्य दर्शन विमर्श, पृ. 61-62 | 18 पूर्ववत्, संग्रह लोक, पृ. 23-24, पृ. 66 । 1" पाण्डे, सौन्दर्यदर्शन विमर्श, पृष्ठ.103 ।