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________________ आदिकालीन हिन्दी जैन काव्य प्रवृत्तियाँ कर्तृक रचनायें - गुरुगण षट्पट (सं. १२७८ ) । जिणदत्तसूरिस्तुति (सं. १२११ ) । १४वीं शती के हिन्दी जैन कवि अभयतिलक गणि - महावीर रास (सं. १३०७) २१ पद्य । ३६ पद्य। अमरप्रभसूरि तीर्थमालस्तवन (सं. १३२३) आनन्दतिलक - आणंदा ( १४वीं शती) । अम्बदेवसूरि - समरादास (सं. १३७१)। उदयकरण कयलवाड पार्श्वस्तोत्र ( १४वीं शती) । जीरावला पार्श्वनाथ स्तोत्र । फलबर्द्धि पार्श्वनाथ स्तोत्र । उदयधर्म - उवएस माल कहाणय छप्पय (८१ छप्पयछंद) (१४वीं शती) । गुणाकरसूरि - श्रावक विधि रास (सं. १३७१) । घेल्ह - चउवीस गीत (सं. १३७१)। चारित्रगणि - जिनचन्द्र सूरि रेलुआ (९ गा) (१४वीं शती) । छल्हु - क्षेत्रपाल द्विपदिका (सं. १४२५ ) ( ८ गा. ) । पहाडिया राग, प्रभातिक नामावलि । GING - 79 जयदेव मुनि - भावना संधि प्रकरण (१४वीं शती) - ६ कडवक । जयधर्म - जिनकुसल सूरि रेलुआ ( १० गा.) । धर्मचर्चरी, सालिभद्रसेलुआ, थूलिभद्रवर्णनाबोली। जिनकुशलसूरि - चैत्यवन्दना कुलकवृत्ति (१४वीं शती) । जिनचन्द्रसूरि चतुःसप्ततिका, फलौधी पार्श्वस्तोत्र, सिद्धक्षेत्र आदि जिन स्तवन और भी अनेक स्तोत्र । जिनपद्मसूरि - थूलिभद्दफागु (२७ पद्य) - १४वीं शती । श्री शत्रुंजय चतुर्विंशति स्तवन | जिनप्रभसूरि पद्मावती चौपाई (३७ पद्य ) लगभग ७०० संस्कृत स्तवन विविधतीर्थ कल्पप्रदीप । देवचन्द्रसूरि - रावण पार्श्वनाथ विनती ( ९ गा. ) ( १४वीं शती) । धर्मकलश - 1 -
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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