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हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना प्रथमाक्षर दोहा (५८ दोहे) (सं. १२६५), (रसविलास)। पाल्हण - आबूरास (नेमिनाथ रासो) - ५० पद्य (सं. १२८९)। पुण्यसागर - श्री जिनचन्द्रसूरि अष्टकम् (सं. १२०५), भत्तउ - श्रीमज्जिनपति सूरीणां गीतम् (२० द्विपदिकायें) - १३वीं शती। यशःकीर्ति (प्रथम) - जगत्सुन्दरी प्रयोगमाला - (१३वीं शती) । रत्नप्रभ सूरि - ‘अन्तरंग सन्धि' काव्य (सं. १२२७) - ३७ कुलक। शाहरयण - जिनपति सूरि धवलगीत (सं. १२७७)। श्रावक लखण - जिनचन्द्रसूरि काव्याष्टकम् (१३वीं शती)। पंडित लाखू - जिणदत्तचरिउ (सं. १२७५)। श्रावकलखमसी - जिनचन्द्रसूरि वर्णनारास (सं. १३७१)। लक्खण - अणुवयरयण पईउ (सं. १३१३)। लाखभदेव - णेमिणाहचरिउ (सं. १५१०)। वरदत्त - वैर सामिचरित्र। वर्जसेन सूरि - भरतेश्वर बाहुबलि घोर (४५ पद्य) - सं. १२३५ । वादिदेवसूरि - मुनिचन्द्र गुरु स्तृति (२५ पद्य) (सं. १२००)। प्रमाणनयतत्त्व लोकालंकार। विजयसेन सूरि - रेवंतगिरिरास (सं. १२८७) - (७२ पद्य) (खण्डकाव्य)। उदयप्रभसूरि - संघपतिचरित धर्माभ्युदय। वीरप्रभ - चन्द्रप्रभकलश। शालिभद्र - भरतेश्वर बाहुबलिरास (सं. १२४१) - २०३ पद्य बुद्धिरास, हितशिक्षाप्रबुद्धरास । सिरिमा महत्तरा - जिनपति सूरि बधामणा गीत (सं. १२३३) २० गाथा। सुमतिगणि - नेमिरास - ५७ पद्य (सं. १२६७ गणधर सार्धशतकवृहद् वृत्ति। सुप्रभाचार्य - वैराग्यसार (७७ पद्य) (१३वीं शती)। सोमप्रभ - कुमारपालप्रतिबोध (सं. १२५१)। सूक्तिमुक्तावली (सिन्दूर प्रकरण)। सुमतिनाथ चरित्र।
शतार्थ काव्य - हरिभद्रसूरि - णेमिनाहचरिउ (सं. १२१६) । हरिदेव - मयणपराजय चरिउ (१३वीं शती)। अज्ञातकवि