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हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना कवियों ने रीति संबंधी (लक्षण ग्रंथ अंगर परक चित्रण, नायकनायिका भेद आदि) ग्रंथ भी रचे हैं परन्तु इसकी संख्या तुलनात्मक दृष्टि से नगण्य ही है। प्रस्तुत प्रबन्ध में हमने मध्यकाल की इसी सीमा को स्वीकार किया है। सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
सम् उपसर्ग पूर्वक 'कृ' धातु के बने संस्कृति शब्द का अर्थ है, सम्यक् प्रकार से निर्माण अथवा परिष्करण की क्रिया । संस्कार, वातावरण और सभ्यता का संदर्भ भी इस शब्द के साथ जुडा हुआ है। इसलिए संस्कृति के क्षेत्र में धर्म, दर्शन, इतिहास, काल, साहित्य आदि सब कुछ अन्तर्भुक्त हो जाता है।
संस्कृति का अंग्रेजी अनुवाद साधारणतः Culture शब्द से किया जाता है जिसका सर्वप्रथम प्रयोग १४२० ई. में कृषि और पशुपालन के अर्थ में किया गया था। लेटिन Colere शब्द से भी इसकी निरुक्ति बतायी जाती है। वह भी कृषि से संबद्ध है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि कृषि का सम्बन्ध मानव की परंपरा से रहा है। कृषि के कारण ही भ्रमणशील प्रवृत्ति, विविध वस्तुओं को जागरित करने के लिए जिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है वह संस्कृति कहलाती है। इतिहास के साथ ही इसका सम्बन्ध समाजशास्त्र से भी है जिसके अनुसार व्यक्ति अपने वंशानुक्रम (Heriditory) और परिवेश (Envirnoment) की प्रतिकृति मात्र है।
संस्कृति अथवा Culture शब्द को लेकर देशीय एवं विदेशीय विद्वानों ने बडा चिन्तन और मन्थन किया है। देशीय विद्वानों में डॉ. पी.के. आचार्य बलदेव प्रसाद मिश्र, मंगलदेल शास्त्री, भगवत शरण