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________________ रहस्य भावनात्मक प्रवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन 433 जलती है वही उसका प्रियतम ब्रह्म है। आधुनिक रहस्यवाद में भी इस वेदना के दर्शन होते हैं। पर विरह की तीव्र अनुभूति प्राचीन काव्य में अधिक अभिव्यक्ति हुई है। वहां आत्मसमर्पण की भावना, चिन्तनमनन गर्भित है। अद्वैतवाद की स्थिति दोनों में अवश्य है पर उसकी प्राप्ति के मार्गो में किंचित् अन्तर है। एक में आचार की प्रधानता है तो दूसरे का सम्बन्ध भावों से अधिक है। रागात्मक आकर्षण आधुनिक रहस्यवाद में कहीं अधिक है। ८) जैन रहस्यभावना में सर्वात्मवाद का दर्शन होता है पर वह जैन सिद्धान्तों के अनुरूप है। आधुनिक रहस्यवाद का सर्वात्मवादी दर्शन क्षणभंगुर संसार को ईश्वरीय सत्ता में अन्तर्भूत करता है। यह स्थिति उसी प्रकार अंग्रेजी रोमाण्टिक कवियों में वर्डस्वर्थ व ब्लेक की है जो आध्यात्मिक सत्ता पर विश्वास करती है और शैली अनीश्वरवादी है। फिर भी दोनों सर्वात्मवादी तत्त्व को सहज स्वीकार करते हैं। जैनधर्म आत्मा को ज्ञान-दर्शन मय मानकर सर्वात्मवाद की कल्पना करता है। ९) प्राचीन रहस्यवाद में साधक संसार, शरीर आदि नश्वर पदार्थो को जन्म-मरण का कारण मानकर उसे त्याज्य मानता है। पर आधुनिक रहस्यवाद में उसके प्रति सौन्दर्यमयी दृष्टिकोण है। . १०) प्राचीन रहस्यभावना में वैयक्तिक स्वर अधिक है पर आधुनिक रहस्यवाद सार्वभौमिकता को लिए हुए है। ११) प्राचीन रहस्यवादी साधना साम्प्रदायिक आधार पर अधिक होती रही पर आधुनिक रहस्यवाद में साम्प्रदायिकता का पुट अपेक्षाकृत बहुत कम है।
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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