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________________ हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना विध्वंस चौपाई जैसी चौपाईयां जैन साहित्य में प्रसिद्ध हैं। यहां एक ओर जहां सिद्धान्त की प्रस्तुति होती है दूसरी और ऐतिहासिक तथ्यों का उद्घाटन भी। मूलदेव चौपाई इसका उदाहरण है । 124 ४. पूजा साहित्य जैन कवियों का अधिक है। पंचपरमेष्ठियों की पूजा, पंचम दशलक्षण, सोलहकारण, निर्दोषसप्तमीव्रत आदिव्रत सम्बन्धी पूजा, देवगुरु-शास्त्रपूजा, जयमाल आदि अनेक प्रकार की भक्तिपरक रचनायें मिलती हैं । द्यानतराय का पूजा साहित्य विशेष लोकप्रिय हुआ है । ५. चांचर, होली, फागु, यद्यपि लोकोत्सवपरक काव्य रूप है पर उनमें जैन कवियों ने बड़े ही सरस ढंग से आध्यात्मिक विवेचन किया है। चांचर या चर्चरी में स्त्री-पुरुष हाथों में छोटे-छोटे डण्डे लेकर टोली नृत्य करते हैं । रास में भी लगभग यही होता है । हिण्डोलना होली और फागु में तो कवियों ने आध्यात्मिकता का सुन्दर पुट दिया है। कहीं-कहीं सुन्दर रूपक तत्त्व भी मिलता है। ६. वेलिकाव्य राजस्थान की परम्परा से गुंथा हुआ है। वहां चारण कवियों ने इसका उपयोग किया है। बाद में वेलि काव्य का सम्बन्ध भक्ति काव्य से हो गया। जैन कवियों ने इन वेलि काव्यों में भक्ति तत्त्व विवेचन और इतिहास प्रस्तुत किया है । ७. संख्यात्मक और वर्णनात्मक साहित्य का भी सृजन हुआ है । छन्द संख्या के आधार पर काव्य का नामकरण कर दिया जाना उस समय एक सर्वसाधारण प्रथा थी, जैसे मदनशतक, नामवावनी, समकित वत्तीसी आदि ।
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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